रायपुर। आन्ध्र प्रदेश में बन रहे पोलावरम बांध निर्माण को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार लंबी लड़ाई लड़ रही है। आज विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बांध निर्माण का मुद्दा गरमाया रहा। जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने विपक्ष के सवाल पर बांध को लेकर कई अहम जानकारी दी। मंत्री ने बताया कि बांध के निर्माण से छत्तीसगढ़ के कई इलाके डूब जाएंगे। राज्य सरकार बांध निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अपने क्षेत्र में होने वाले नुकसान को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का जब तक फैसला नहीं आ जाता तब तक निर्माण नहीं हो सकता।
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कोंटा समेत 9 गांव डूबेंगे
पोलावरम बांध के इतिहास पर नजर डाले तो यह आंध्रप्रदेश की इंदिरा सागर अंतरराज्यीय परियोजना है। 1978 के पूर्व परियोजना बनाई गई थी। गोदावरी नदी पर सालों से बांध निर्माण का काम चल रहा है। वहीं अगर बांध बन जाता है तो सुकमा जिले के कोंटा सहित 9 गांव डूब जाएंगे। मंत्री रविंद्र चौबे ने आज सदन में बताया कि आंध्रप्रदेश में निर्मित यह बांध राष्ट्रीय परियोजना है। पोलावरम बांध के निर्माण की वजह से सुकमा के 9 गांव के प्रभावित होने का अनुमान है। इनमें बंजाममुड़ा, मेटागुंडा, पेदाकिसोली, आसीरगुंडा, इंजरम, फ़ंदीगुंडा, ढोढरा, कोंटा, वेंकटपुरम के प्रभावित होने का अनुमान है। इन क्षेत्रों की जनसंख्या 18 हज़ार 510 है।
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बहुउद्देश्यीय परियोजना
आन्ध्र प्रदेश में पश्चिमी गोदावरी जिले के पोलावरम मंडल के राम्मय्यापेट के निकट गोदावरी नदी पर स्थित है। यह परियोजना आन्ध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी, विशाखापटनम, पश्चिमी गोदावरी और कृष्णा जिलों में सिंचाई, जल विद्युत विकसित करने और पेयजल सुविधाएं प्रदान करने के लिए गोदावरी नदी पर बहुउद्देश्यीय प्रमुख टर्मिनल जलाशय परियोजना है।
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इस परियोजना में नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना के अंतर्गत गोदावरी- कृष्णा को जोड़ने को कार्यान्वित किया जाएगा। इस परियोजना में कृष्णा नदी को गोदावरी नदी के अधिशेष जल के 80 टीएमसी भाग को अंतरित करने का उल्लेख है जिसे जीडब्लूडीटी पंचाट के निर्णय के अनुसार आन्ध्र प्रदेश द्वारा 45 टीएमसी और कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्यों द्वारा 35 टीएमसी के अनुपात में आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बंटवारा होगा।
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पोलावरम का इतिहास
– यह आंध्रप्रदेश की इंदिरा सागर अंतरराज्यीय परियोजना है।
– 1978 के पूर्व परियोजना बनाई गई थी।
– 1980 में गोदावरी ट्रिब्यूनल में निर्देश हुआ था कि एमपी व आंध्र के जल का बंटवारा होगा, बांध भी बनेगा।
– गोदावरी नदी पर बांध बनना है। यह कोंटा से 150 किमी है।
– 2010-11 में इसकी पुनरीक्षित लागत थी 16 हजार करोड़ रुपए।
– इसके डूबान क्षेत्र में छग की 2475 हेक्टेयर जमीन आ रही है।
– डूबान क्षेत्र में सुकमा जिले की कोंटा तहसील व 9 गांव आ रहे हैं।
– परियोजना से आंध्र की 2.91 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी।
– आंध्र से तेलंगाना अलग होने पर योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया गया।
– अब केंद्र सरकार इसका क्रियान्वयन करेगी।
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यह भी जानें
– परियोजना का उद्देश्य सिंचाई, विद्युत उत्पादन, कृष्णा कछार में जल व्यपवर्तन है।
– परियोजना सुकमा जिले की सीमा के नजदीक तेलंगाना में गोदावरी बैराज से 42 किलो मीटर उपर गोदावरी नदी पर निर्माणधीन है।
– बांध का संपूर्ण जलग्रहण क्षेत्र 306643 वर्ग किलोमीटर और लंबाई 2160 मीटर पक्का बांध सहित होगा।
– बांध से 970 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
– छत्तीसगढ़ को 1.5 टीएमसी पानी मिलेगा पर बिजली में एक यूनिट की भी हिस्सेदारी नहीं मिलेगी।
– परियोजना की लागत 8 हजार करोड़ से अधिक हो चुकी है।
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