किसान आंदोलन...नई करवट! इसका समाधान कब और कैसे निकलेगा? | Peasant Movement...New Turn! When and how will it be resolved?

किसान आंदोलन…नई करवट! इसका समाधान कब और कैसे निकलेगा?

किसान आंदोलन...नई करवट! इसका समाधान कब और कैसे निकलेगा?

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 08:39 PM IST
,
Published Date: June 26, 2021 5:34 pm IST

रायपुर: 3 नए कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसानों ने बीते साल 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन की शुरूआत की। केंद्रीय कृषि मंत्री से कई दौर की बातचीत के बाद भी बात नहीं बनी। अब सात महीने बाद देशभर में किसानों ने एक बार फिर सड़कों पर उतकर कृषि बचाओ-लोकतंत्र बचाओ दिवस मनाकर अपने आंदोलन को धार देने की कोशिश की है। शनिवार को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी दिनभर किसानों ने प्रदर्शन कर केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी के लिए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने कूच किया, तो दूसरी तरफ इसपर सियासी बयानबाजी का सिलसिला फिर तेज हो गया है। बड़ा सवाल ये कि इस आंदोलन में किसानों का कितना जुड़ाव होगा क्या ये अगला चरण यूपी चुनाव से पहले माहौल बनाने को लेकर हैं? क्या इस आंदोलन के जरिए किसानों को कुछ हासिल हो पाएगा? क्योकिं फिलहाल तो केंद्र साफ कर चुका है कि कानून वापस नहीं होंगे और कानून वापसी से कम किसान नेताओं को कुछ मंजूर नहीं है।

Read More: छत्तीसगढ़ में पिछले 24 घंटे में कोरोना से 4 की मौत, बस्तर में मिले सबसे अधिक मरीज, देखें आज का डेटा

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को 7 महीने पूरे हो गए। इस मौके पर किसानों ने एक बार फिर हुंकार भरी और दिल्ली सहित पूरे देश में उग्र प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। न सिर्फ दिल्ली में बल्कि किसान आंदोलन की गूंज मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी सुनने मिली।

Read More: लघु वनोपजों के प्रसंस्करण की इकाइयां बढ़ाई जाएं : सीएम भूपेश बघेल, दंतेवाड़ा की तरह अन्य जिलों में किया जाए सफेद अमचूर का उत्पादन

भोपाल में किसान संगठनों ने एक बार फिर जोर दिखाया। गांधी भवन गेट के सामने सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर किसानों के समर्थन में धरने पर बैठीं, जबकि संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी शिवकुमार शर्मा कक्काजी को पुलिस ने घर में नजरबंद कर दिया गया। हालांकि जब आंदोलनकारियों का दबाव बढ़ा तो 5 नेताओं के डेलिगेशन को राजभवन जाने की अनुमति मिली। किसान संगठनों के तेवर साफ कर दिये हैं कि जब तक तीनों कृषि कानून सरकार वापस नहीं लेगी तब तक आंदोलन चलता रहेगा। वहीं, ग्वालियर में भी संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम पर ज्ञापन सौंपा।

Read More: 4 करोड़ 81 लाख हितग्राहियों को थैलों में निशुल्क मिलेगा PDS का राशन, सरकार ने लिया बड़ा फैसला

इधर रायपुर में भी तीन कृषि कानून के खिलाफ कई किसान संगठनों ने प्रदर्शन किया। किसान संगठनों के नेताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के लिए मोतीबाग से राजभवन तक पैदल मार्च के लिए निकले, लेकिन पुलिस ने मोतीबाग चौराहे पर ही रोक दिया। आंदोलनकारी किसानों ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कानून वापस नहीं लेगी, तब तक वो अपनी मांगों को लेकर डटे रहेंगे।

Read More: बड़ी राहत! बार-बार नहीं देनी होगी TET परीक्षा, आजीवन रहेगी पात्रता, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश

बीते 7 महीने में किसान आंदोलन को लेकर राजीतिक रोटियां भी सेंकी गई। इस दौरान जहां-जहां चुनाव हुए। कृषि कानूनों को मुद्दा बनाया गया, फिर चाहे वो बंगाल चुनाव हो। यूपी के पंचायत चुनाव हों या फिर उपचुनाव। कांग्रेस तो पहले दिने से ही किसानो के समर्थन में है। खुद राहुल गांधी कह चुके हैं कि सरकार को बातचीत के जरिए किसानों की मांग मान लेनी चाहिए। न सिर्फ कांग्रेस बल्कि सपा, बसपा या फिर दूसरे राष्ट्रीय क्षेत्रिय दलों ने भी किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। हालांकि बीजेपी बार बार ये सफाई दे रही है कि सरकार किसानों से बातचीत के लिए अब भी तैयार है लेकिन किसान नेताओं को अपनी जिद छोड़नी होगी।

Read More: हेमंत वर्मा बनाए गए छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष, प्रमोद गुप्ता बने सदस्य

तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुआ किसान आंदोलन बीते सात महीनों से जारी है। आंदोलन को शुरू हुए भले 7 महीने गुजर गए लेकिन अपनी मांगों को लेकर किसान एक बार फिर उग्र आंदोलन की तैयारी में जुटे हैं। कुल मिलाकर देश का किसान एक बार फिर सड़कों पर है। ऐसे में सवाल यही है कि इसका समाधान कब और कैसे निकलेगा?

Read More: छत्तीसगढ़ : पुलिस के अधिकारी-कर्मचारियों को इंद्रधनुष पुरस्कार का ऐलान, देखें जिलेवार सूची

 
Flowers