संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने रामदेव पर 'कोरोनिल' की मान्यता को लेकर भ्रम फैलाने का लगाया आरोप, बोले धोखाधड़ी पर क्यों नहीं की गई कार्रवाई | Parliamentary Secretary Vikas Upadhyay accused Ramdev of spreading confusion about the recognition of 'coronil'

संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने रामदेव पर ‘कोरोनिल’ की मान्यता को लेकर भ्रम फैलाने का लगाया आरोप, बोले धोखाधड़ी पर क्यों नहीं की गई कार्रवाई

संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने रामदेव पर 'कोरोनिल' की मान्यता को लेकर भ्रम फैलाने का लगाया आरोप, बोले धोखाधड़ी पर क्यों नहीं की गई कार्रवाई

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:00 PM IST
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Published Date: February 23, 2021 4:14 pm IST

रायपुर। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने बाबा रामदेव की कंपनी द्वारा तैयार कोरोनिल के लाॅन्च किए जाने पर कई सवाल उठाया है और कहा है, बाबा रामदेव के कंपनी द्वारा झूठा प्रचार कर देश को भ्रमित किया जा रहा है। न ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे किसी तरह की मंजूरी दी है और न ही कोरोना के लिए इसे इस्तेमाल करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि अगर कोरोनिल कोरोना से बचाव में इतनी प्रभावशाली है तो मोदी सरकार टीकाकरण पर 35 हजार करोड़ रुपये क्यों खर्च कर रही है?

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उन्होंने कहा, केन्द्रीय मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन स्वयं एक आधुनिक मेडिसीन डाॅक्टर हैं और नियम यह कहता है कि कोई भी डाॅक्टर किसी दवा को प्रमोट नहीं कर सकता, लेकिन केन्द्रीय मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन जो कि स्वयं एक डाॅक्टर हैं, उनके द्वारा कोरोनिल जो कि एक दवा है को प्रमोट किया जाना मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के कोड ऑफ कंडक्ट का सीधा-सीधा उलंघन है।

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उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव इस दवा के पक्ष में जिस तरह से 154 देशों में मान्यता मिलने की बात कह कर विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला दिया था वह पूरी तरह से निराधार व झूठ साबित हुआ। इसके बावजूद भारत सरकार द्वारा 48 घंटे बाद भी किसी तरह का बाबा रामदेव के खिलाफ एक्शन न लिया जाना कई संदेहों को जन्म देता है। जबकि डब्ल्यूएचओ के साउथ-ईस्ट एशिया के आधिकारिक ट्वीटर हैण्डल पर लिखा गया है। ‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 के ईलाज के लिए किसी भी पारंपरिक दवा के प्रभाव की समीक्षा नहीं की है और न ही किसी दवा को प्रमाणित किया है।’’

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विकास उपाध्याय ने कहा, मोदी सरकार को स्पष्ट करना चाहिये कि उसके कितने मंत्रियों का बाबा रामदेव के कंपनी में शेयर है। जो बार-बार दवा के नाम पर धोखाधड़ी करने के बावजूद उनकी कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि डाॅ. हर्षवर्धन को जवाब देना चाहिए कि कोरोनिल को लेकर बाबा रामदेव की कंपनी के कितने क्लिनिकल ट्रायल हुए हैं और हुए हैं तो उनका टाईम फ्रेम और टाईम लाईन स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने स्पष्टीकरण मांगा है कि कोरोनिल को डीजीसीआई द्वारा जो अनुमति दी गई है। इसका आधार क्या था?