इस्लामाबाद। पाकिस्तान की एक निचली अदालत ने एक बार फिर अपने एक विवादित फैसले को लेकर सुर्खियों पर है। कोर्ट ने शरिया कानून का हवाला देते हुए एक केस की सुनवाई के दौरान फैसला किया है कि किसी लड़की का मासिक धर्म शुरू हो चुका है तो वह विवाह के लायक हो चुकी है।
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शख्स ने नाबालिग को अगवा करने के बाद जबरन इस्लाम धर्म कबूल कराया और अपहरणकर्ता ने उसे उससे विवाह करने को मजबूर किया था। इसके बाद, पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि वे निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे। निचली अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि शरिया कानून के तहत कम उम्र की लड़की से शादी वैध है क्योंकि वह रजस्वला हो चुकी है।
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पीड़िता के पिता यूनिस और मां नगीना मसीह के अनुसार पिछले साल अक्टूबर में हुमा को जब अगवा किया गया था तब वह 14 साल की थी और उसे अगवा करने वाले अब्दुल जब्बार ने उसे इस्लाम धर्म कबूल करवाकर शादी करने के लिए मजबूर किया।
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उनके वकील तबस्सुम यूसुफ ने शुक्रवार को बताया कि वे उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।