दमोह, मध्यप्रदेश। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से दमोह जिला प्रशासन में हड़कंप मचा है। कोर्ट ने कलेक्टर की लग्जरी कार और फर्नीचर की कुर्की कर 20 लाख रुपए वसूल करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट की ये सख्ती साल 1986 में सहायक ग्रेड के पदों की भर्ती से जुड़ा है। तेंदूखेड़ा निवासी अभ्यर्थी सुशील जैन को पात्रता होने के बाद भी जानबूझकर नौकरी नहीं देने का आरोप है। सुशील जैन ने कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई थी।
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दमोह कोर्ट ने आरोप सही पाए जाने पर जिला प्रशासन को आदेश किया कि आवेदक सुशील जैन को हर्जाना देते हुए उन्हें तत्काल नौकरी दी जाए। मगर दमोह कलेक्टर के द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में अपील की गई लेकिन हाईकोर्ट ने भी कलेक्टर की याचिका को खारिज करते दमोह सेशन कोर्ट का आदेश सुरक्षित रखा । मगर बात यहीं नहीं रुकी उसके बाद जिला प्रशासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। यहां भी पीड़ित सुशील जैन के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 2008 में तत्काल सुशील जैन को हर्जाना देने तथा नौकरी देने का आदेश जारी किया। लेकिन इसके बाद भी जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं किया।
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वहीं मामले में काफी बक्त बीत जाने के बाद जब जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया, तो आवेदक सुशील जैन ने दमोह सेशन कोर्ट में एग्ज्यूंकेशन लगाया, ताकि कोर्ट अपने आदेश का पालन कराए। वहीं दमोह सेशन कोर्ट ने आवेदक सुशील जैन की याचिका पर आदेश का पालन कराते हुए, दमोह कलेक्टर की लग्जरी एम्बेसडर कार तथा कार्यालय का महंगा फर्नीचर कुर्की कर 20 लाख रुपए वसूलने के आदेश कर दिए, कोर्ट के आदेश के बाद अधिकारी तथा कर्मचारियों के खेमे में हड़कंप का माहौल बना हुआ है। क्योंकि कि मामला जिला कलेक्टर से संबंधित होने के कारण उक्त मामले में कोई कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है। अब देखना होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है, बरहाल इस पर सबकी नजरें टिकी हुई है।
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