भोपाल। आदिवासियों के उत्थान में जुटी प्रदेश सरकार अब आदिवासी बोलियों को स्कूली पाठयक्र्रम में शामिल करने की कार्ययोजना तैयार कर रही है। प्रदेश के 89 आदिवासी ब्लॉक में भीली, कोरकू और गोंडी बोली पढ़ाने की तैयारी है। स्कूल शिक्षा विभाग जो प्रस्ताव तैयार कर रहा है उसके अनुसार इन बोलियों का अलग से पाठयक्रम होगा और इन्हें तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा।
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विभाग ने प्रस्ताव तैयार करने की जिम्मेदारी वर्किंग ग्रुप को सौंपी है। माना जा रहा है नए शिक्षण सत्र से सरकार इसे अमल में ला सकती है। कांग्रेस सरकार ने अपने परंपरागत आदिवासी वोट बैंक को वापस मजबूत करने के लिए खास तौर पर आदिवासी बोलियों पर फोकस कर रही है हालांकि सरकार का तर्क है कि आदिवासियों के उत्थान के लिए हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं और अदिवासी बोलियों को स्कूली पाठयक्रम में शामिल करना भी इसी की एक कड़ी है।
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वहीं बीजेपी सरकार की इस मंशा पर सवाल उठाते हुए कह रही है कि कांग्रेस सरकार सिर्फ बोलने के अलावा कोई काम नही कर रही है इससे बेहतर है कि सरकार बोले नहीं करके दिखाए। हमारे देश में एक कहावत है ‘कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वानी’। ऐसे में आदिवासी बोलियों को एक बार फिर से जीवित करने का काम सरकार कर रही है, यह काम आसान नहीं होगा लेकिन देखना यह है कि सरकार अपने कही बात पर कितना खरा उतरती है ।
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