भोपाल। बहुचर्चित ई टेंडरिंग घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू ने नोटिस जारी किया है। ईओडब्ल्यू द्वारा यह नोटिस पीआईयू, पीडब्ल्यूडी और एमपीएसएलडीसी की टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी को जारी किया गया है। इस मामले में तीन विभागों के टेंडर जिन कंपनियों को मिले थे उन पर भी ईओडब्ल्यू शिकंजा कस सकता है।
मध्यप्रदेश के बहुचर्चित तीन हजार करोड़ के ई-टेंडरिंग घोटाले में 10 अप्रैल को पहली एफआईआर दर्ज की गई है। ईओडब्ल्यू ने पांच सरकारी विभागों, सात कंपनियों के डायरेक्टर समेत अज्ञात राजनेताओं और नौकरशाहों पर एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। आयकर विभाग के छापेमार कार्रवाई के बाद अब एमपी सरकार एक्शन में आ गई है। ईओडब्ल्यू ने ई टेंडरिंग घोटाले में कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम की तकनीकी जांच के आधार पर एफआईआर दर्ज की है।
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ईओडब्ल्यू का कहना है कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ की गई। 9 टेंडरों के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ कर कंपनियों को लाभान्वित किया, जिनमें जल निगम के 3, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम का 1 और लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का 1 टेंडर शामिल है। जनवरी से मार्च 2018 के दौरान टेंडर प्रोसेस हुए थे। मई में घोटाले की जांच शुरू हुई थी।
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इस मामले में इन कंपनियों पर FIR हुई है -हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनी मेसर्स जीवीपीआर लिमिटेड, मैसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंस्ट्रक्शन कंपनी दी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मेसर्स जेएमसी लिमिटेड, बड़ौदा की कंस्ट्रक्शन कंपनी सोरठिया बेलजी प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड, भोपाल की कंस्ट्रक्शन कंपनी मेसर्स राजकुमार नरवानी लिमिटेड।
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