जगदलपुर। बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में ग्रामीण गांव में सड़क पानी बिजली जैसी सुविधाएं तो चाहते हैं लेकिन इस सुविधा को हासिल करने की कीमत उन्हें अपना गांव छोड़कर चुकानी पड़ रही है। संभाग मुख्यालय का नक्सल प्रभावित दरभा विकासखंड इसका उदाहरण है यहां सड़क बनाने के लिए पुलिस और प्रशासन ने दबाव बनाया तो गांव के लोगों ने बढ़-चढ़कर सड़क तो बनवा दी इसके बाद उनकी जान के लाले पड़ गए गांव की सड़क खुल गई लेकिन कई ग्रामीणों को गांव छोड़कर भागना पड़ा।
ऐसा ही कुछ हुआ ककालगुर के उप सरपंच के साथ ही साथ भडरीमऊ और आसपास के गांव के 4 से 5 ग्रामीण के साथ जो पिछले 2 सालों से अपने घर नहीं जा पाए हैं पिछले पखवाड़े भर में एक ग्रामीण ने जैसे-तैसे अपने घर जाने की हिम्मत की और पहुंचते ही उसकी कुल्हाड़ी मारकर माओवादियों ने हत्या कर दी। जिससे डरकर अब ग्रामीण अपने घर भी नहीं जा रहे हैं। दरभा इलाके में माओवादियों ने उन इलाकों में अपनी पकड़ फिर मजबूत करनी शुरू कर दी है जहां से उन्हें खदेड़ा गया था अब गांव की जिन लोगों ने गांव के विकास के लिए पुलिस व सरकार का साथ दिया वह वापस नहीं जा सकते 10 एकड़ जमीन से अच्छी खासी कमाई छोड़कर वे सरकार व प्रशासन के दरवाजे खटखटा रहे हैं। और बेबसी ऐसी है कि वह चाहते हैं कि उनको पुलिस की नौकरी ना मिले ना पुलिस की मुखबिरी का काम करना पड़े क्योंकि ऐसा करने पर पूरे जीवनभर बच्चों को भी घर के बाहर गांव के बाहर काटना पड़ सकता है ।
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बस्तर में बदलाव की बयार है पर गांव में सैकड़ों लोगों का आशियाना अभी उजड़ रहा है जरूरी है कि समग्र रूप से प्रशासन इन इलाकों में इस तरह से काम करें ताकि गांव के लोग मुख्यधारा में वापस लौटे और हत्याओं का सिलसिला खत्म हो।