'Adivasi Mahotsav': मांदर की थाप सुनकर खुद को रोक नहीं पाए राहुल गांधी, मंच से उतकर नाचने लगे कलाकारों के साथ | National Tribe Dance Festival: Rahul gandhi Dance with Tribes in Chhattisgarh

‘Adivasi Mahotsav’: मांदर की थाप सुनकर खुद को रोक नहीं पाए राहुल गांधी, मंच से उतकर नाचने लगे कलाकारों के साथ

'Adivasi Mahotsav': मांदर की थाप सुनकर खुद को रोक नहीं पाए राहुल गांधी, मंच से उतकर नाचने लगे कलाकारों के साथ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:34 PM IST, Published Date : December 27, 2019/6:48 am IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में तीन दिनों तक होने वाले राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आज भव्य आगाज हुआ। इस कार्यक्रम की शुरुआत कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल, प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया सहित प्रदेश सरकार के सभी मंत्री भी मौजूद रहे।

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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दौरान सबसे हसीन पल वो रहा जब मंच पर आसीन राहुल गांधी डांस के मैदान में उतर आए और उन्होंने आदिवासी थाप पर कलाकारों के साथ नाचने लगे। इस दौरान राहुल गांधी ने बस्तर के आदिवासियों की पहचान मुकुट को अपने सिर पर लगा रखा था। वे ढोल लेकर आदिवासी थाप पर डांस कर रहे थे।

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इससे पहले कार्यक्रम के शुरुआत में राहुल गांधी ने अपने संबोधन में पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले सीएम बघेल जी ने मुझे कहा -छत्तीसगढ़ में आदिवासीयो का डांस और म्यूजिक का फ़ेस्टिवल किया जा रहा है। अगर आदिवासीयो की बात होती है तो मैं 2 मिनट में शामिल हो जाता हूँ। हमें आदिवासीयों के इतिहास को समझने का मौका मिलेगा,मैं चाहता हूँ कि छत्तीसगढ़ को चलाने में आपकी आवाज सुनाई दे और आपके विचार शामिल किए जाए।

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देश दुनिया भर से आदिवासी आए है, यह बहुत अच्छा कदम है। आदिवासियो के सामने देश में बहुत समस्याए हैं। लेकिन खुशी की बात है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियो की आवाज़ सुनाई दे रही है। छत्तीसगढ़ में नक्सल हिंसा में कमी आयी है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक की नही सबकी आवाज़ सुनाई देती है। हर धर्म जात, आदिवासी दलित सबको साथ लिए बिना हिन्दुस्तान की अर्थव्यवस्था नहीं चलाई जा सकती।

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राहुल गांधी ने कहा कि जब तक देश मे सबकी आवाज़ एक साथ सुनाई नहीं देगी तब तक बेरोज़गारी से नही पार नहीं होगा। ज़बरदस्ती जीएसटी लागू की जाए, कुछ लोगो को पैसा दिया जाए तो अर्थव्यवस्था नही सुधर सकती है। तोड़ने से कुछ नहीं बनाया जा सकता है। भाई को भाई से लड़ाकर देश का कभी फायदा नहीं हो सकता है। इसी फ़ेस्टिवल में अनेकता से एकता दिखाई देगी। आदिवासियों के कल्चर को देखकर एकता बनेगी।

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