भोपालः हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी देश में एक कट्टर मुस्लिम नेता और संविधान के जानकार के तौर पर पहचान रखते हैं। उनकी पार्टी एआईएमआईएम ने अब मध्यप्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने का मन बना चुकी है। इसके लिए एआईएमआईएम चुनिंदा शहरों में एक गोपनीय सर्वे करवा रही है। ये वो शहर हैं, जहां अल्पसंख्यक आबादी निर्णायक सिद्ध हो सकती हैं। बड़ा सवाल ये है कि ओवैसी के मिशन एमपी से ज्यादा नुकसान किसे होगा कांग्रेस को या भाजपा को?
मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति में अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की भी एंट्री होने जा रही है। ओवैसी की पार्टी आगामी नगरीय निकाय चुनावों से अपने चुनावी सफर का आगाज कर सकती है। पार्टी इसके लिए प्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाकों में सर्वे करा रही है। सर्वे रिपोर्ट के बाद ही प्रत्याशी उतारने पर अंतिम फैसला होगा। पार्टी ने अभी केवल माइनॉरिटी बाहुल्य सीटों पर ही अपने कैंडिडेट उतारने का प्लान बनाया है, ताकि अगले विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी की सियासी जमीन तैयार हो सके। एआईएमआईएम नेताओं के मुताबिक एमपी में चुनावों की सर्वे रिपोर्ट पर पार्टी सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ही आखिरी फैसला लेंगे।
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एआईएमआईएम निकाय चुनाव में इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खंडवा, सागर, बुरहानपुर, खरगोन, रतलाम, जावरा, जबलपुर, बालाघाट, मंदसौर और कुछ अन्य स्थानों से अपने प्रत्याशी मैदान में उतार सकती है। ओवैसी की एंट्री की खबरों के बाद बीजेपी-कांग्रेस में खलबली जरूर है, लेकिन दोनों दल ये दावा जरूर कर रहे हैं कि..ओवैसी से उन्हें कोई डर नहीं है।
दरअसल मध्यप्रदेश के निकाय चुनावों में बीजेपी का ही दबदबा रहा है। पिछले निकाय चुनावों में सभी 16 नगर निगमों पर बीजेपी का कब्जा था। लेकिन हाल ही में ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव में एआईएमआईएम को उसके ही गढ़ में बीजेपी ने दमदारी से चुनौती दी। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि मध्यप्रदेश में ओवैसी की एंट्री बीजेपी के लिए चुनौती साबित होगी या फिर कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है।
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