भोपालः अपनी चौथी पारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तेवर बदले नजर आ रहे हैं, फिर चाहे माफिया को खुलेआम धमकी देना होना, लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाना या नौकरशाही पर नकेल कसना। मुख्यमंत्री अपनी मामा वाली सौम्य छवि के विपरीत सख्त दिख रहे हैं, यहां तक कि वो अपने मंत्रियों को स्टॉफ भी सोच-समझकर रखने के निर्देश भी दे रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि मुख्यमंत्री शिवराज को इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
ये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तेवर हैं। जब वो कोलार गेस्ट हाउस में अपने मंत्रियों के साथ आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश को लेकर चर्चा कर रहे थे, नौ महीने की सरकार में तीन मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मुख्यमंत्री अब पूरी तरह से टॉप गियर लगाने की तैयारी में है और इसलिए ही उन्होंने 9 घंटे तक मंत्रियों के साथ हर विभाग की समीक्षा की। लेकिन मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं। क्या मुख्यमंत्री को अपने मंत्रियों के व्यवहार को लेकर कुछ इनपुट मिले हैं? आखिर मंत्रियों को इस वक्त चेताने की जरुरत क्यों पड़ी? सवाल ये भी है कि मंत्रियों के निजी स्टॉफ को लेकर क्या कुछ शिकायतें मिली है? कांग्रेस भी अब सीएम के इस बयान को लेकर आरोप लगा रही है।
वैसे मंत्रियों के साथ बैठक से ठीक पहले मुख्यमंत्री ने हर जिले के कलेक्टर एसपी से भी चर्चा की। दरअसल सीएम की कोशिश है कि प्रशासनिक कसावट को धार देकर विकास के कामों को रफ्तार दी जाए। इस पर बीजेपी नेताओं का कहना है कि अपने साथियों के साथ अनुभव बांटने में क्या बुराई है।
अपने 14 साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री के तेवर इतने तीखे नहीं रहे। मुमकिन है कि वो अपने साथ काम करने वाले मंत्रियों को अपने काम करने के तरीके के बारे में समझाना चाहते हो। कुछ दिन पहले बीजेपी संगठन के स्तर पर इस पर भी चर्चा हुई थी। हर मंत्री के यहां पार्टी के किसी नेता को नियुक्त किया जाए ताकि यदि कोई गलती होती भी है तो उसे रोका जा सके।