भोपाल: आजादी के 73 साल में दिल्ली मे 17 सरकारें बन चुकी है। किसानों की जिंदगी में बदलाव के लिए कई आयोग बने,कई सिफारिशें हुई,कई कानून बने लेकिन नहीं बदली तो देश के किसानों की हालत आज भी सूदखोरी मे फंसे किसान,खुदकुशी करते किसान की खबरें आप देखते होगे। इस वक्त दिल्ली सीमा पर नए कृषि कानून के खिलाफ बड़ा आंदोलन चल रहा है। केंद्र सरकार ने पहले तो किसानों चर्चा की लेकिन जब बात नहीं बनी तो संगठन के जरिए किसानों को अपनी बात समझाने में जुटी है। मध्यप्रदेश के रायसेन में शुक्रवार को किसान महासम्मेलन हुआ जिसमें 35 लाख किसानों को 1600 करोड़ की राहत राशि मुख्यमंत्री ने दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे संबोधित किया। दोनों ही नेताओं का फोकस नया कृषि कानून ही रहा। जाहिर है कुछ सवाल तो खड़े होते ही है। क्या बीजेपी अपने संगठन के जरिए किसान आंदोलन का असर खत्म करना चाहती है? क्या इस देश में किसान महज वोट बैंक है, जिसे हर पार्टी अपने साथ रखना चाहती है? क्योंकि वादे तो बहुत हुए पर नहीं बदले तो हालात।
कुछ इस तरह करीब 1 मिनट तक तालियां बजाकर मध्यप्रदेश के किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। दिल्ली सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन के दौरान कच्छ के बाद ये दूसरा मौका था जब प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से संवाद किया। मौका था शिवराज सरकार का 35 लाख किसानों को 1600 करोड़ रुपए की पहली किश्त देने का।
ये खेत तुम्हारे है, खलिहान तुम्हारा है।।
प्रदेश के विकास में, योगदान तुम्हारा है।
दाने-दाने में बसा, भगवान तुम्हारा है।।
दिन-रात परिश्रम ही, ईमान तुम्हारा है।
अन्नदाता के रूप में, सम्मान तुम्हारा है।।
मोदी जी का संकल्प , कल्याण तुम्हारा है।
नजरे उठा कर देखों, हिन्दुस्तान तुम्हारा है।।
और हर समय, हर घड़ी साथ खड़ा।
ये शिवराज सिंह चौहान तुम्हारा है।।
इस कार्यक्रम को सभी 52 जिले, 313 जनपद पंचायत.23 हजार ग्राम पंचायत पर प्रदेश के 50 लाख लोगों ने देखा। मौका किसान को राहत देने का था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान के भाषण के केंद्र में नए कृषि कानून के विरोध में चल रहा आंदोलन रहा। दोनों ही नेताओं ने न सिर्फ कृषि कानून खूबियां बताई बल्कि विपक्ष को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा।
रायसेन में हुए इस कार्यक्रम को बीजेपी की उस रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है, जिसके तहत देश भर के किसानों को नए कृषि कानून की जानकारी देना और दिल्ली सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन को कमजोर करना है। इस सिलसिले में बीजेपी अभी तक मध्यप्रदेश के 52 जिलों में प्रेस कांफ्रेस कर चुकी है। सात जगह सभी बड़े नेता किसान सम्मेलन कर चुके हैं। विज्ञापनों के जरिए किसान हित में किए गए कामों को बताया जा रहा है। कृषि मंत्री देश के किसानों के नाम खुला खत लिख चुके है। दरअसल बीजेपी की योजना अपने संगठन के दम पर पूरे देश के किसानों तक अपनी बात रखने की है ताकि नए कृषि कानून को लेकर किसानों में नाराजगी न हो न ही दिल्ली में दूसरे राज्यों के किसान पहुंच कर उसे ताकत दें।
इस बीच राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का ट्वीट करके सरकार से सुप्रीम कोर्ट के उस सुझाव को मानने को कहा है जिसमें कृषि कानूनों को रोककर किसानों से बातचीत का कहा गया है। उधर चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा ने भी किसान आंदोलन को समर्थन दिया है। उद्योग संगठन FICCI ने भी किसान आंदोलन के चलते देश के उत्तरी हिस्से में रोजाना 3000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया है।
read More: कल ‘छत्तीसगढ़ के नवा बिहान‘ कार्यक्रम में शामिल होंगे सीएम भूपेश बघेल