भोपाल: मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस चुनावी मोड़ में आ चुकी है। नेताओँ के बयान और पार्टी की घोषणाओं में चुनावी गणित की झलक दिखने लगी है। वहीं, सोशल मीडिया में नेताओं के वायरल वीडियो को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी है। मंत्री बिसाहूलाल सिंह के नोट पर बवाल थमा भी नहीं था कि अब मंत्री बृजेंद्र यादव साड़ी बांटते नजर आ रहे हैं, जिसे लेकर सूबे में सियासत तेज हो गई है।
मध्यप्रदेश में उपचुनाव जीतने के लिए बीजेपी-कांग्रेस सारे दांव आजमा रही है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे नेताओं का अपने क्षेत्र में वोटरों को गिफ्ट देते हुए वीडियो जमकर वायरल हो रहे हैं। अनूपपुर में मंत्री बिसाहू लाल सिंह के नोट बांटने वाले वीडियो पर सियासी घमासान थमा भी नहीं था कि मुंगावली से बीजेपी के संभावित प्रत्याशी और मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव साड़ी बांटते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि ये वीडियो कब और किस तारीख का है इसकी पुष्टि नहीं हुई है और ना ही IBC24 इस वायरल वीडियो की पुष्टि करता है। लेकिन सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस ने बिना देर किए चुनाव आयोग से इसकी शिकायत कर दी है।
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हालांकि वायरल वीडियो को लेकर दोनों ही संभावित प्रत्याशियों ने अपनी सफाई में कहा है कि ये पुराना वीडियो है, जिसे अभी वायरल किया जा रहा है। मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव ने भी साड़ी बांटते वायरल हो रहे वीडियो को पुराना बताकर इसे कांग्रेस की साजिश करार दिया है। बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस को चुनौती दी है कि वो चुनाव आयोग जाएं या फिर सर्वोच्च अदालत, उनके हाथ खाली ही रहेंगे। इधर बुरहानपुर के नेपानगर विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी रामकिशन पटेल और बीजेपी प्रत्याशी सुमित्रा कास्डेकर का जनसम्पर्क के दौरान पैसे बांटने का वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें दोनों प्रमुख दल के प्रत्याशी आरती की थाली में पैसे डालते नजर आ रहे हैं।
उपचुनावों में खुद की जीत के लिए जतन कर रहे इन प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि चुनाव आयोग ने कलेक्टरों से वायरल वीडियो की रिपोर्ट मांग ली है। जांच के बाद ही वीडियो की सच्चाई सामने आएगी। लेकिन सवाल है कि आखिर ऐन चुनाव से पहले ही ऐसे वीडियो क्यों वायरल होते हैं। बहरहाल चुनाव से पहले गिफ्ट वाली पॉलिटिक्स नई बात नहीं है, पहले भी इस तरह के वीडियो सामने आते रहे हैं। चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशी वोटर्स को रिझाने के लिए ये गिफ्ट बांटने का तरीका अपनाते रहे हैं। अब देखना ये है कि पारदर्शी चुनावों के लिए प्रतिबद्ध चुनाव आयोग ऐसे प्रत्याशियों पर आने वाले दिनों में कितना नकेल कस पाता है?