नई दिल्ली: चांद की सतह पर विक्रम लैंडर का पता लगाने के बाद इसरो के वैज्ञानिक लगातार लैंडर से संपर्क साधने का प्रयास कर रहे हैं। आर्बिटर ने विक्रम लैंडर की थर्मल इमेज क्लिक की थी। हालांकि इसरो के वैज्ञानिक विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। इसरो प्रमुख के सिवान ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि अगले 12 दिन हमारे लिए बहुत अहम हैं, इन 12 दिनों में हम लैंडर विक्रम से संपर्क साधने का प्रयास कर रहे हैं।
सिवान ने कहा कि चांद पर अभी लूनर डे चल रहा है। चांद का 12 दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है। लूनर डे का दो दिन बीत चुका है। अगले 12 दिन तक लूनर में और दिन रहेगा। दिन में हमें लैंडर विक्रम को ढूंढने में आसानी होगी। हमारा प्रयास जारी है, हमें भरोसा है कि हम जल्द विक्रम से संपर्क बना लेंगे। पूरे देश को हम पर भरोसा है।
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फिलहाल हमें इस बात का पता चल गया है कि विक्रम लैंडर चांद की सतह पर मौजूद है। अब बस इस बात का पता लगाना है कि लैंडर विक्रम किस हाल में है। संपर्क साधने का प्रयास किया जा रहा है। बता दें कि इसरो को चांद पर विक्रम लैंडर की स्थिति का पता चल गया है। ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज कैमरा से उसकी तस्वीर ली है।
भविष्य में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कितना काम करेंगे, इसका तो डेटा एनालिसिस के बाद ही पता चलेगा। इसरो वैज्ञानिक अभी यह पता कर रहे हैं कि चांद की सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर विक्रम अपने तय मार्ग से क्यों भटका। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि विक्रम लैंडर के साइड में लगे छोटे-छोटे 4 स्टीयरिंग इंजनों में से किसी एक ने काम न किया हो. इसकी वजह से विक्रम लैंडर अपने तय मार्ग से डेविएट हो गया। यहीं से सारी समस्या शुरू हुई, इसलिए वैज्ञानिक इसी प्वांइट की स्टडी कर रहे हैं।
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