मोदी सरकार ने किया उपभोक्ता संरक्षण कानून में बड़ा सुधार, भ्रामक विज्ञापन देना पड़ेगा महंगा, कहीं भी दर्ज कराया जा सकता है प्रकरण | Modi government made a big improvement in consumer protection law Misleading advertising will cost dear Case can be filed anywhere

मोदी सरकार ने किया उपभोक्ता संरक्षण कानून में बड़ा सुधार, भ्रामक विज्ञापन देना पड़ेगा महंगा, कहीं भी दर्ज कराया जा सकता है प्रकरण

मोदी सरकार ने किया उपभोक्ता संरक्षण कानून में बड़ा सुधार, भ्रामक विज्ञापन देना पड़ेगा महंगा, कहीं भी दर्ज कराया जा सकता है प्रकरण

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:04 PM IST
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Published Date: July 18, 2020 7:13 am IST

नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार कानूनों में सुधार की प्रक्रिया पर लगातार काम कर रही है। आने वाली 20 जुलाई को मोदी सरकार एक नया कानून लागू करने जा रही है। नए कानून का सबसे अधिक फायदा उपभोक्ताओं को होगा। केंद्र सरकार ने दावा किया है कि इस कानून के आने के बाद आगामी 50 सालों तक उपभोक्ताओं को किसी नए कानून की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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20 जुलाई से देश में नया उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019 लागू होने जा रहा है। इस संबंध में केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। नया कानून उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 की जगह लेगा। नए कानून के लागू होने के बाद किसी उत्पाद के संबंध में भ्रामक विज्ञापन देने पर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। नए कानून में भ्रामक विज्ञापन देने पर कार्रवाई करने का प्रावधान है।

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नए उपभोक्ता कानून के लागू होने के बाद उपभोक्ता विवादों का समय पर, प्रभावी और त्वरित गति से निपटारा किया जा सकेगा । नए कानून के तहत उपभोक्ता अदालतों के साथ-साथ एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) बनाया गया है। ये प्राधिकरण उपभोक्ता के हितों की रक्षा कठोरता से हो, इसकी निगरानी करेगा। इस प्राधिकरण के पास जुर्माना लगाने से लेकर सजा सुनाने का भी अधिकार होगा। नए कानून में उपभोक्ता देश के किसी भी कंज्यूमर कोर्ट में मामला दर्ज करा सकेगा, भले ही उसने सामान कहीं और से ही क्यों न लिया हो।

इसी तरह, उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ग्राहकों की परेशानी सुनेगा, उदाहरण के लिए आपसे कोई दुकानदार अधिक मूल्य वसूलता है, आपके साथ अनुचित बर्ताव करता है या फिर दोषपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री करता है, ऐसे हर मामले की सुनवाई करेगा।

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नए कानून के तहत पीआईएल या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में भी फाइल की जा सकेगी। इसके दायरे में ऑनलाइन या टेलीशॉपिग कंपनियों को भी शामिल किया गया है। उपभोक्ता और दूकानदार के बीच समझौते के लिए मीडिएशन सेल का गठन किया गया है। ये सेल दोनों पक्षों की सहमति के बाद ही मीडिएटर बनेगा। बता दें कि बीते दिनों उपभोक्ता एवं खाद्य मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था कि इसके लागू हो जाने के बाद ग्राहकों के लिए अगले 50 सालों तक कोई और कानून बनाने की जरूरत नहीं होगी।

 

 
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