रायपुर: वाणिज्यिक कर मंत्री टी.एस. सिंहदेव आज केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की 40वीं बैठक में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। वीडियो कॉन्फ्रेस में सिंहदेव के साथ उनके निवास कार्यालय से वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी और आयुक्त रानू साहू भी मौजूद थीं।
वाणिज्यिक कर मंत्री सिंहदेव ने बताया कि जीएसटी लागू होने के पहले वर्ष के दौरान भारत सरकार के साथ ही राज्य सरकारों का जो हिस्सा केंद्र सरकार की समेकित निधि में शामिल है, उसे राज्यों को उनकी हिस्सेदारी के अनुसार वितरित करने का सैद्धांतिक फैसला लिया गया। मंत्रियों का एक समूह गठित कर राज्यों को इसके वितरण की रूपरेखा तय की जाएगी। राज्य सरकारों को मिलने वाले जीएसटी का हिस्सा केंद्र सरकार की समेकित निधि में जमा होने के कारण जीएसटी लागू होने वाले वित्तीय वर्ष में राज्यों को कम राशि प्राप्त हुई थी। जीएसटी परिषद के इस फैसले से राज्यों को इसकी भरपाई हो सकेगी।
सिंहदेव ने बताया कि बैठक में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर पांच करोड़ रुपये तक के कुल कारोबार वाले करदाताओं के लिए विलंब शुल्क- एवं ब्याज को माफ करके कुछ और राहत दी गई है। इसका लाभ लेने के लिए व्यवसाईयों को मई, जून और जुलाई माह के लिए फॉर्म जीएसटीआर-3बी में रिटर्न सितंबर, 2020 तक दाखिल करना होगा। सिंहदेव ने बताया कि परिषद के इस फैसले से राज्य के 80 हजार व्यवसाईयों को राहत मिलेगी। इस फैसले से उन्हें कोविड-19 के कारण व्यापार में हुए नुकसान से उबरने में सहायता मिलेगी।
सिंहदेव ने जीएसटी परिषद की बैठक में ऐसे छोटे एवं मध्यम व्यवसायी जिनका वार्षिक टर्नओवर पांच करोड़ रूपए तक है, उन्हें राहत प्रदान करने के लिए से मई से जुलाई माह तक विलम्ब से रिटर्न भरने में लगने वाले शुल्क को कम करने के साथ ही पूरे वित्तीय वर्ष 2020-21 में विलम्ब से रिटर्न भरने पर लगने वाले ब्याज को 18 प्रतिशत से 9 प्रतिशत माँग की है। इससे प्रदेश के 90 हज़ार व्यवसाईयों को फ़ायदा होगा। अभी जीएसटी में विलंब से रिटर्न फाइल करने पर दस हजार रूपए तक विलंब शुल्क तथा 18 प्रतिशत ब्याज लगता है।
Read More: अब छत्तीसगढ़ में सुबह 5 से रात्रि 9 बजे तक खुलेंगी दुकानें, सरकार ने जारी किया निर्देश