असम में पीएम मोदी के स्वागत में जलाए गए लाखों दिए, सीएए के विरोध पर भारी पड़ा केंद्र का यह समझौता | Millions burnt to welcome PM Modi in Assam, this agreement of the Center over CAA protest

असम में पीएम मोदी के स्वागत में जलाए गए लाखों दिए, सीएए के विरोध पर भारी पड़ा केंद्र का यह समझौता

असम में पीएम मोदी के स्वागत में जलाए गए लाखों दिए, सीएए के विरोध पर भारी पड़ा केंद्र का यह समझौता

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:22 PM IST
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Published Date: February 7, 2020 11:10 am IST

नई दिल्ली। सीएए और एनआरसी को लागू करने को लेकर पूरे देश में सबसे ज्यादा विरोध असम में देखा गया था, इसके परिणाम स्वरूप पीएम मोदी को जापानी पीएम शिंजो आबे के साथ शिखर सम्मेलन को रद्द करना पड़ा था। पीएम मोदी हाल में गुवाहाटी में सम्पन्न ‘खेलो इंडिया’ खेलों के उद्घाटन में भी शामिल नहीं हुए। लेकिन अब असम में लोग पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए बड़ी तैयारी करने लगे हैं, आखिर ऐसा क्या हुआ? तो सुनिए, केंद्र सरकार के एक अन्य फैसले ने तस्वीर पूरी तरह बदल दी है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को असम में कोकराझार का दौरा करेंगे, कोकराझार में लोगों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए गुरुवार को सड़कों और गलियों में मिट्टी के दीए जलाए। ऑल बोडो स्टूडेंट यूनियन (एबीएसयू) ने कोकराझार में बाइक रैली भी निकाली। पीएम के स्वागत की जोरदार तैयारियां की गई हैं। पीएम मोदी यहां बोडो समझौते पर हस्ताक्षर होने का जश्न मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होंगे।

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पीएम ने गुरुवार को ट्वीट किया, ‘मैं असम में दौरे को लेकर उत्सुक हूं। मैं एक जनसभा को संबोधित करने के लिए कोकराझार में रहूंगा। हम बोडो समझौते पर सफलतापूर्वक हस्ताक्षर किए जाने का जश्न मनाएंगे, जिससे दशकों की समस्या का अंत होगा। यह शांति और प्रगति के नये युग की शुरूआत का प्रतीक होगा।’

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बोडो समझौते पर हस्ताक्षर 27 जनवरी को सरकार द्वारा नैशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के चार धड़ों, आल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन और एक नागरिक समाज समूह के साथ किया गया था। इसका उद्देश्य असम के बोडो बहुल क्षेत्रों में दीर्घकालिक शांति लाना है। प्रधानमंत्री ने हाल के एक ट्वीट में हस्ताक्षर वाले दिन को ‘भारत का एक बहुत खास दिन बताया था’ और कहा था कि यह बोडो लोगों के लिए परिवर्तनकारी परिणाम लाएगा।

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पीएम मोदी ने 26 जनवरी को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपील की थी कि जो भी हिंसा के मार्ग पर हैं वे मुख्यधारा में लौट आएं और अपने हथियार डाल दें। समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दिनों में एनडीएफबी के विभिन्न धड़ों के 1615 से अधिक सदस्यों ने अपने हथियार सौंप दिये थे और मुख्यधारा में शामिल हुए थे।

 
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