दुर्ग: कोरोना वायरस का भय इतना है कि आम नागरिक घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। वहीं दूसरी मेडिकल टीम अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का जांच कर रही है साथ मरीजों का उपचार रहे हैं। बताया जा रहा है कि विभाग से स्वास्थ्यकर्मियों को ऐसे किट मुहैय्या कराए जा रहे हैं जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों पर खरा नहीं उतरते। स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टरों की टीम में शामिल सदस्यों ने किट को लेने से इंकार कर दिया है। वर्तमान में भेजा गए किट से सुरक्षा तो दूर पहनना ही खतरनाक साबित हो रहा है। शरीर तक संक्रमण पहुंचना आसान है। यहीं कारण है कि उन्होंने किट को देखने के बाद जान जोखिम में नहीं डालने का निर्णय लिया है, और किट को लेने से इंकार कर दिया है।
दरअसल ऑपरेशन में उपयोग किया जाने वाला मास्क विशेष डिजाइन की टोपी वाला होनी चाहिए। लेकिन इस कीट में किक्रेट मैच में उपयोग में लाए जाने वाले सफेद गोल टोपी को शामिल किया है। वहीं, जूता कव्हर की जगह अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला लांग गम बूट और दस्ताना जैसा है। फूल कव्हर करने वाला एप्रान भी हाफ है। केवल सामने का हिस्सा ही ढक पाएगा।
स्वास्थ्य विभाग के टैक्निशियनों का कहना है कि कोरोना संभावितों का सैंपल लेते समय उपयोग में लाए जाने वाला किट ऐसा होना चाहिए, जिसमें शरीर का कोई भी हिस्सा सीधे संपर्क में न आए। ग्लबस भी कम से कम तीन होना चाहिए। वह भी मेडिकल ग्लब्स। इसके अलावा शरीर को पूर्ण रूप से ढकने वाला (चिप लगा हुआ) गाउन। साथ सिर और चेहर को ढका जा सका मास्क व ऑपरेशन थिएटर में उपयोग में लाए जाने वाला कैप। इसके अलावा जूते की आवश्यकता नहीं है बल्कि जूता को कव्हर करने के लिए मेडिकल शूज कैप की आवश्यकता है।
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स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के विरोध के बाद किट को जिला अस्पताल प्रबंधन ने लौटाने का निर्णय लिया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से कुल 50 और सीजीएमएससी से 5 किट आया था, जिसे मेडिकल टीम ने लौटा दिया है। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी अब घर घर जाकर 1 मार्च से विदेश से लौटे चिन्हींत लोगो का फिर से सेम्पल कलेक्ट करेगी जिसके लिए इस पीपीई किट की महती आवश्यकता है। ऐसे में विभाग की ओर से भेजे गए किट से बचाव तो दूर संक्रमण के फैलने का खतरा बना हुआ है।