रायपुर: छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद विपक्ष में बैठी बीजेपी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, ये कहना गलत नहीं होगा। चुनावों में करारी हार झेलने के बाद पहले संगठन में दरार की खबरें आई, तो अब प्रदेश, जिला और मोर्चा प्रकोष्ठ के गठन को लेकर नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी और बगावत खुल कर सामने आने लगी है। बीजेपी नेता इसे सामान्य बता रहे हैं, लेकिन कांग्रेस तंज कसने का कोई मौका नहीं गंवा रही। ऐसे में सवाल ये है कि क्या प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय और प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी के कार्यकर्ताओं को रिचार्ज और एकजुट करने की कोशिशें बेकार जा रही? क्या मिशन 2023 की तैयारी पर फिर भारी पड़ेगी गुटबाजी?
पिछले एक महीने के भीतर घटी ये वो चंद मामले हैं जो बताते हैं कि छत्तीसगढ़ बीजेपी में गुटबाजी जारी है। कवर्धा में जहां जिला कार्यकारिणी की घोषणा के बाद भाजयुमो के 7 कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दे दिया, तो सरगुजा में घोषित कार्यकारिणी का विरोध करते हुए 10 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी। जी हां पहले प्रदेश पदाधिकारी और जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर वरिष्ठ नेताओं की गुटबाजी की खबर के बाद मोर्चा प्रकोष्ठ में नियुक्तियों को लेकर खींचतान किसी से छिपी नहीं रही। अब जिला कार्यकारिणी को लेकर भी विवाद सामने आ रहे है।
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ये हालात तब हैं जब विष्णुदेव साय को कमान संभाले एक साल से ज्यादा हो गया। वहीं प्रभारी बनने के बाद डी पुरंदेश्वरी पहले दौरे से ही समय सीमा पर काम करने के लिए जोर दे रही है। बावजूद इसके भाजयुमो की प्रदेश कार्यकारिणी अब तक पूरी नहीं हो पाई है अभी भी दो उपाध्यक्ष और एक मंत्री की नियुक्ति बची है और जहां नियुक्तियां हुई है, वहां कार्यकर्ताओं की नाराजगी और बगावत की खबर आ रही हैं। हालांकि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक सब कुछ नॉर्मल होने की बात कह रहे हैं।
बीजेपी में पार्टी नेताओं की आपसी खींचतान और कार्यकारिणी में नियुक्तियों को लेकर शुरू हुई लड़ाई पर कांग्रेस जरूर चुटकी ले रही है। पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम का विपक्ष में आने के बाद बीजेपी नेता एक दूसरे को निपटाने में लगे हुए हैं। जनता के साथ-साथ कार्यकर्ताओं का भी बीजेपी से मोह भंग हो रहा है।
बीजेपी अगर प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता से बेदखल हुई तो उसमें गुटबाजी और कार्यकर्ताओं की नाराजगी सबसे बड़ी वजह रही। लेकिन लगता नहीं कि बीजेपी हार के बाद भी कोई सबक ले रही है। नियुक्तियों को लेकर कार्यकर्ताओं की नाराजगी और बगावत इसकी बानगी है।
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