नई दिल्ली। ईरानी हमले में मारे गए यूक्रेन के विमान से पहले भी अमेरिका, रूस जैसे बड़े देशों ने भी यात्री विमान का निशाना बनाने की गलती
कर चुके हैं। करीब 32 साल पहले 3 जुलाई, 1988 को अमेरिकी नौसेना के जहाज से किए गए मिसाइल हमले में ईरान एयर फ्लाइट 655 को आसमान में ही उड़ा दिया था। जिस समय यह हमला हुआ तब यह विमान अरब की खाड़ी के ऊपर से गुजर रहा था। कहा गया कि अमेरिका को लगा कि इस विमान में मिसाइल हैं, जिससे ईरान हमला करने वाला है।
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17 जुलाई, 2014 को मलयेशिया एयरलाइंस का विमान एम्स्टर्डम से कुआलालंपुर जा रहा था, लेकिन तभी सोवियत निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल ने उसे निशाना बना लिया। उस समय विमान में 283 यात्री और 15 क्रू सदस्य मौजूद थे। इनमें 80 बच्चे थे। सभी की मौत हो गई। जांच में पता चला कि रूस के समर्थन वाले यूक्रेन के विद्रोहियों ने यह मिसाइल हमला किया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस हमले से जुड़े आरोपों को खारिज किया था।
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4 अक्तूबर, 2001 को सर्बिया का विमान इजरायल के तेल अवीव से रूस के लिए रवाना हुआ था। मगर काला सागर में वह क्रैश हो गया, पहले आतंकी हमले का शक जताया गया। अमेरिका ने जांच में पाया कि यूक्रेन सैन्य अभ्यास के दौरान क्रीमिया की मिसाइल से यह विमान गिरा।
हमले में 66 यात्री और 12 क्रू सदस्य मारे गए, बाद में यूक्रेन सरकार ने सभी को हर्जाना दिया।
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कोरियाई एयरलाइंस विमान संख्या 007 को 1 सितंबर 1983 सोवियत इंटरसेप्टर मिसाइल ने मार गिराया था। इस हमले में कुल 269 लोगों की मौत हुई, जिनमें अमेरिकी सांसद लैरी मैक्डोनाल्ड भी शामिल थे। जांच में पाया गया कि पायलट की गलती से विमान गलत सीमा क्षेत्र में घुस गया था।
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