रायपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े निजी अस्पताल में दिनदहाड़े ताला तोड़कर कब्जे की कोशिश करने वालों में प्रमुख नाम है… महेंद्र धाड़ीवाल का। महेंद्र धाड़ीवाल ने पूर्व में अपने ही दस्तखत से दी गई कई जानकारियों को खुद झूठा करार दिया है। MMI के 70 डॉयरेक्टर की बात को भी भुलाते हुए उन्होंने शासन-प्रशासन को गुमराह करने की कोशिश की है। खास बात ये है कि महेंद्र धाड़ीवाल पहले भी एक बार अवैध कब्जे के लिए सुर्खियों में आ चुके हैं।
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महेंद्र धाड़ीवाल ने 29 जुलाई को जब रायपुर के MMI अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ कर डायरेक्टर रुम और एकाउंट सेक्शन में कब्जा किया गया, तो यही सबसे आगे थे। हथौड़ी और इलेक्ट्रिक कटर से ताला तोड़े जाने के बाद रुम का दरवाजा खोलकर सबसे पहले अंदर जाने वालों में ये ही थे।
विधि का विधान और कागजों में कानूनी पेंच बताने वाले महेंद्र धाड़ीवाल के इस काम और उसके विधान के खिलाफ कई सबूत अब सार्वजनिक हो चुके हैं। MMI अस्पताल परिसर में एक बोर्ड लगा है, इसमें 70 लोगों के नाम दर्ज हैं। ये सभी डायरेक्टर हैं। लोगों को बेहतर इलाज मिले इसलिए अस्पताल की स्थापना के लिए MMI संस्था बनाई गई। शुरु से ही MMI के डायरेक्टर रहे सदस्य बताते हैं कि दान में पैसा देने वाले सभी लोगों को संस्था में शामिल कर डायरेक्टर का पद दिया गया। लेकिन महेंद्र धाड़ीवाल की नीयत जब MMI अस्पताल पर कब्जे की हुई, तो उन्होंने ये सारी बातें भुला दी, वे ये भी भूल गए कि शासन और प्रशासन को गलत सूचना देकर गुमराह करने से पहले उन्होंने खुद ही कई बार MMI अस्पताल के डायरेक्टर्स की लिस्ट शासन-प्रशासन को अपने दस्तखत के साथ सौंपी है।
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IBC 24 को जो पहला दस्तावेज मिला है, वो 31 दिसंबर 1997 का है… इन दस्तावेजों में बतौर तत्कालीन सचिव खुद महेंद्र धाड़ीवाल ने MMI के 66 डॉयरेक्टर्स की जानकारी दी है। दूसरा दस्तावेज भी यही कहानी दोहरा रहा है, जिसमें 30 जून 1998 को महेंद्र धाड़ीवाल ने ही अपने दस्तखत के साथ फिर से MMI के 66 डॉयरेक्टर्स की जानकारी शासन को भेजी थी। यही नहीं 5 जुलाई 1998 को MMI के प्रबंधकारिणी समिति के सदस्यों का चुनाव हुआ, तो भी महेंद्र धाड़ीवाल ने 17 पदाधिकारियों की सूची शासन को भेजी थी। इसके अलावा भी पिछले 25 साल से इनकी उपस्थिति में AGM, कार्यकारिणी मीटिंग और ऑडिट भी होता रहा है। संस्था की सभी निर्णायक गतिविधियों में इनकी सहभागिता और सहमति होती थी। इन्हीं डायरेक्टर में से कई सदस्य अलग-अलग समय पर अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और सचिव जैसे महत्वपूर्ण वैधानिक पदों पर भी रहे हैं। MMI की समय-समय पर होने वाली बैठकों और इसमें लिए गए फैसलों की सूचना के साथ डॉयरेक्टर्स के नाम की लिस्ट सरकार के साथ विभाग को भेजी गई। 1 जून 2000 के मिनिट्स की एक रिपोर्ट सामने आई है, ये वही लिस्ट है, जिनमें शामिल नामों को अब महेंद्र धाड़ीवाल खुद ही डॉयरेक्टर मानने से इनकार कर रहे हैं और उनकी सदस्यता खत्म बता रहे हैं। सवाल ये है कि क्या कभी खुद अपनी ही दी गई जानकारी को गलत बताकर महेंद्र धाड़ीवाल MMI पर कब्जा करना चाहते हैं..?
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प्राप्त दस्तावेजों में साफ-साफ नजर आ रहा है कि महेंद्र धाड़ीवाल ने खुद अपने हस्ताक्षर से इनकी सूची रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी को भेजी थी। जब ये सभी लोग समय-समय पर वैधानिक पदों पर रहे हैं, तो इनकी सदस्यता कैसे समाप्त की जा सकती है? इस मामले में शासन को गुमराह किया जा रहा है। यहां ये बताना भी जरुरी है कि महेंद्र धाड़ीवाल की ये हरकत पहली नहीं है। इसके पहले भी रायपुर के पंडरी स्थित महालक्ष्मी क्लाथ मार्केट में पानी की टंकी के नीचे अवैध रुप से दुकानों का निर्माण किया था। जिसे अवैध मानते हुए शासन ने तोड़ा था। इस कार्रवाई के समय महेंद्र धाड़ीवाल के भाई विजय धाड़ीवाल ने IBC24 के रिपोर्टर के पूछे जाने पर चेयरमैन सुरेश गोयल से बात हो जाने का हवाला देते हुए खबर नहीं चलाने का अनुरोध किया था।