भोपाल: मध्यप्रदेश में कांग्रेस को एक बार फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया की याद आई है। राहुल गांधी के बैकबेंचर वाले बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने भी सिंधिया पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस में सालों तक महाराज रहे सिंधिया को बीजेपी ने एक साल में ही भाईसाहब बना दिया। दिग्विजय सिंह ने बीजेपी और सिंधिया के रिश्तों पर सवाल उठाया..तो बीजेपी-कांग्रेस में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। सियासी बयानबाजी के इतर बड़ा सवाल है कि कांग्रेस बार-बार सिंधिया पर क्यों निशाना साध रही है? आखिर इसके पीछे उसकी क्या मंशा है?
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दस साल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह ने सिंधिया के इलाके में ही बीजेपी और सिंधिया के रिश्तों पर सवाल खड़ा कर दिया है। दरअसल जिस वक्त सिंधिया ने बीजेपी का दामन थामा तभी से उन पर आरोप लग रहा है कि खुद के लिए केंद्रीय मंत्री की कुर्सी के एवज में उन्होंने कांग्रेस की सरकार को गिराया, लेकिन अब एक साल हो चुका है और सिंधिया सिर्फ राज्यसभा सांसद हैं। वैसे दिग्विजय सिंह के बयान से कई सवाल तो खड़े होते ही है। क्या दिग्विजय सिंह ने सोची समझी रणनीति के तहत ये बयान दिया है? क्या महाराज शब्द के जरिए कांग्रेस सिंधिया के आत्मसम्मान को मुद्दा बनाना चाहती है? सरकार गिरने के एक साल होने पर दिग्विजय एक नई बहस शुरु करना चाहते हैं? क्या दिग्विजय सिंह का ये बयान राहुल के बयान के आगे की कड़ी है? वजह चाहे जो हो लेकिन दिग्विजय सिंह के बयान पर सियासत तो शुरु हो ही गई हैं।
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दिग्विजय सिंह पहले नेता नहीं है जिन्होंने बीजेपी में सिंधिया की उपेक्षा को लेकर बयान दिया हो इसके पहले राहुल गांधी ने भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा था कि सिंधिया यदि कांग्रेस में ही रहते हैं, तो अभी तक मुख्यमंत्री बन जाते। वैसे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कभी भी नाम लेकर सिंधिया पर टिप्पणी नहीं की है, लेकिन पहले राहुल और फिर दिग्विजय सिंह के बयानों से ये तो कहा ही जा सकता है कि सिंधिया को लेकर कांग्रेस में अंदर ही अंदर शायद कुछ हलचल हो रही है। वैसे कांग्रेस के दूसरे नेता अभी भी सिंधिया पर कुछ नरमी बरतते नहीं दिख रहे हैं।
करीब एक साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के 22 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसके चलते 15 साल बाद बनी कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। तभी से कांग्रेस सिंधिया और उनके समर्थकों को गद्दार, धोखेबाज कहती रही है। उपचुनावों में इसे भुनाने की भी काफी कोशिश की गई लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा।