रायुपर। मुख्यमंत्री की रेडियोवार्ता लोकवाणी की चौथी कड़ी का प्रसारण हुआ। लोकवाणी का प्रसारण छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों एफ.एम. तथा क्षेत्रीय न्यूज चैनलों से सुबह 10.30 से 10.55 बजे तक किया गया।
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उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समाज के हर वर्ग की भावनाओं, सवालों और सुझावों से अवगत होने तथा अपने विचार साझा करने के लिए लोकवाणी रेडियोवार्ता प्रारंभ की है। लोकवाणी में इस बार का विषय ’नगरीय विकास का नया दौर’ रखा गया।
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लोकवाणी की खास बातें-
सीएम बघेल ने बताया कि भू-जल स्तर का गिरना चिंता का विषय है और इसका सबसे बड़ा कारण हमारे शहरों का विकास, सीमेंट कांक्रीट के जंगल की तरह किया जाना है।
– शहरों के बहुत से हिस्से, घरों, व्यवसायिक भवनों, सड़कों आदि के कारण इतने ठोस हो गए हैं कि बरसात का पानी भीजमीन के भीतर नहीं जा पाता।
– भूमिगत जल स्तर को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है कि सतह का पानी रिस-रिसकर जमीन के भीतर जाए।
– छत्तीसगढ़ को तरिया का, तालाबों का, जलाशयों का, नदियों-नालों का, जलप्रपातों का प्रदेश कहा जाता रहा है।
– विडम्बना है कि एक लम्बे अरसे तक सही सोच और सही योजना के बिना ही निर्माण कार्य किए जाते रहे हैं।
– ऐसे निर्माण कार्यों की वजह से हमारी जमीन की रिचार्जिंग क्षमता कम होती गई और भू-जल स्तर गिरते-गिरते अब खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है।
– मैं बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने नियमों में संशोधन करके अब प्रत्येक आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य कर दिया है।
– पूर्व में निर्मित भवनों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है।
– छह प्रकार की रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट की दर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई है और सैकड़ों एजेन्सियों तथा स्व-सहायता समूहों को आगे किया गया है कि वे एक माह के भीतर सभी जगह रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करें।
– हम चाहते हैं नए भवनों में बिजली कनेक्शन भी तभी दिया जाए, जब रेन वाटर हार्वेस्टिंग की यूनिट वहां लगा दी जाए।
– आपने ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ योजना से शहरों को जोड़ने के बारे में कहा है, तो मैं यह बताना चाहता हूं कि इस दिशा में भी काम शुरू हो गया है।
– ‘वी-वायर इंजेक्शन वेल’ के माध्यम से भू-जल की रिचार्जिंग की परियोजना बनाई गई है।
– जहां तक कुओं के उपयोग का सवाल है, तो मैं प्रदेश की जनता से, स्थानीय प्रशासन से, जिला प्रशासन से, स्वयं सेवी संगठनों से अपील करता हूं कि पुराने कुओं की साफ-सफाई कराएं। पुराने कुओं को जाली आदि लगाकर सुरक्षित करें ताकि इससे कोई दुर्घटना न हो।
– आज-कल छोटे भू-खण्डों पर घर बनाए जाते हैं, जिसमें कुओं का निर्माण कठिन होता है, इसीलिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की प्रणाली अपनाई जाती है, लेकिन जहां पुराने कुएं हैं, उनका पूरा सम्मान और व्यवस्था हो, इस बारे में आप लोग भी सोचें और हम भी कोई अभियान इसके लिए छेड़ेंगे।
– पेयजल की बात आपने की है तो मैं यह बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार बनते ही 212 करोड़ रू. लागत से रायपुर शहर वृहद पेयजल आवर्धन योजना की शुरूआत कर दी गई है।
– घरेलू पेयजल कनेक्शन से वंचित बी.पी.एल. परिवारों के लिए ‘मिनीमाता अमृतधारा नल योजना’ शुरू की गई है।
– फिल्टर प्लांट के माध्यम से पैकेज्ड वाटर अर्थात सीलबंद पानी उपलब्ध कराने के लिए ‘राजीव गांधी सर्वजल योजना’ शुरू की गई है।
– आपदाग्रस्त स्थानों अर्थात जहां भू-जल प्रदूषित है, वहां सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए ‘मुख्यमंत्री चलित संयंत्र पेयजल योजना’ शुरू कर दी गई है।
– सुपेबेड़ा में तेलनदी का जल शुद्ध करने के लिए ‘सुपेबेड़ा जल योजना’ शुरू की गई है।
– चंदखुरी, जिला दुर्ग में ‘समूह पेयजल योजना’ के माध्यम से समस्या का समाधान किया जा रहा है।
– हमने नरवा से लेकर नदियां तक सबकी चिंता की है।
– सरकार बनते ही रायगढ़ तथा जगदलपुर शहर सिवरेज मास्टर प्लांट को मंजूरी दी गई है, जिससे नदियों में मिल रहे नाले-नालियों के दूषित जल का शुद्धिकरण किया जा सके।
– बरसों से लंबित खारून सफाई योजना को मंजूरी दी है।
– बस्तर की जीवनदायनी इंद्रावती नदी के संरक्षण के लिए प्राधिकरण का गठन किया गया है।
– बिलासपुर में अरपा नदी की सफाई का बड़ा अभियान जनभागीदारी के साथ चलाया गया है।
– मैं चाहता हूं कि प्रदेश की जनता अपने आस-पड़ोस की नदियों को साफ रखने में मदद करें। इससे हमारी सरकार का उत्साह बढ़ेगा और हम सब मिलकर अपने शहरों को, शुद्ध पानी भी दे सकेंगे और स्वच्छ परिवेश भी।
तंत्र मंत्र के नाम पर ठगी