लॉकडाउन ने बिगाड़ी बंदरों के सेहत, सुरम्य वादियों में तक रहे इंसानों की राह | Lockdown spoiled monkeys' health The path of humans remains in the picturesque litigants

लॉकडाउन ने बिगाड़ी बंदरों के सेहत, सुरम्य वादियों में तक रहे इंसानों की राह

लॉकडाउन ने बिगाड़ी बंदरों के सेहत, सुरम्य वादियों में तक रहे इंसानों की राह

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:51 PM IST, Published Date : April 3, 2020/9:01 am IST

केशकाल। कोरोना वायरस ने पूरे देश को लॉक डाउन कर रखा है। वहीं इसका असर अब इंसानों के साथ साथ बेजुबान जानवरों में भी दिखाई दे रहा है । बस्तर का प्रवेश द्वार केशकाल घाटी जो प्राकृतिक दृश्य से परिपूर्ण है । इस घाटी से होते हुए वाहनों का आवागमन होने से बेजुबान बंदरों को बस से लेकर अन्य निजी वाहनों के यात्रियों द्वारा उन बंदरों के लिए कुछ न कुछ खाने की चीजें दी जाती थी, जिससे वे अपनी भूख मिटाते थे। लेकिन अब लॉकडाउन होने से निरीह जानवरों को को भूख से भटकते देखा जा सकता है।
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लोगों की आवाजाही व गाड़ियों के पहिये थम जाने से इसका असर केशकाल घाटी में मौजूद सैकड़ों-हजारो की संख्या में बंदरों पर नजर आ रहा है। सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन बेजुबान जानवर इसी आस में बैठे रहते हैं कि कोई आएगा और उन्हें दाना-पानी नसीब होगा। लेकिन वाहनों की आवागमन थम जाने से सुबह से शाम इंतजार करने के बावजूद बंदरों को कुछ हाथ नहीं लगता,वही अब धीरे-धीरे यह बंदर भी यहां से पलायन करने लगे हैं ।

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बंदरों के लिए आसपास खाने के लिए इन जंगलो में कुछ भी नहीं है। यह मौसम बंदरों का प्रजनन का मौसम होता है और कई ऐसे मादा बंदर है जो गर्भवती हैं, लेकिन भोजन ना मिलने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । किसी तरह केशकाल के स्थानीय लोग लॉकडाउन होने के उपरांत भी इन बंदरों के लिए कुछ ना कुछ खाने के लिए पहुंचा रहे हैं । लेकिन पानी की व्यवस्था नहीं हो पा रही है, ना ही वनविभाग के अधिकारी कर्मचारी इस ओर किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं दे रहे हैं। सीएम बनते ही प्रथम नगर आगमन पर ही प्रदेश के मुखिया भुपेश बघेल ने कहा था कि जंगलो में फलदार वृक्षों को भी बहुतायत से लगाया जाएगा, जिससे जंगली जानवरों को भोजन-पानी मिल सकें, फिलहाल ये विचार फलीभूत नहीं हुआ है।