भोपाल: मध्यप्रदेश में करीब 50 दिन बाद लोगों को कोरोना कर्फ्यू से राहत मिली। मंगलवार से अनलॉक की प्रक्रिया..कुछ बंदिशों..तो कुछ रियायतों के साथ शुरू हुई। फल-सब्जी और किराना से लेकर अन्य जरूरी चीजों की दुकानें खुली, लेकिन चर्चा का विषय रहा, शराब दुकान खुलने का समय। दरअसल शराब दुकानों को अहमियत देने और उसकी खुलने की टाइमिंग को लेकर विपक्ष ने सरकार की नीति पर सवाल उठाया, जिसपर मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार किया कि वो कांग्रेस सवाल पूछ रही है। जो छत्तीसगढ़ में शराब की होम डिलिवरी कर रही। ऐसे में सवाल है कि शराब दुकानों पर इतनी मेहरबानी क्यों? लोगों के लिए राशन ज्यादा जरूरी है या फिर शराब?
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मध्यप्रदेश में 50 दिन के लंबे लॉकडाउन के बाद मंगलवार को दुकानें फिर से खुली, अनलॉक की प्रक्रिया जिलों की स्थिति के अनुसार कई तरह की छूट और बंदिशें रहेगी। राज्य सरकार ने इसके लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी है। 50 दिन बाद अनलॉक की प्रक्रिया के बीच शराब दुकानों की टाइमिंग को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने इस मामले में सरकार को घेरते हुए कहा कि शराब की दुकान खोले जाने को लेकर सरकार के नियम ही अजीब है। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा के मुताबिक अगर नाइट कर्फ्यू जारी है तो उस दौरान शराब दुकान खोलने की अनुमति क्यों दी जा रही है। वहीं फल-सब्जी और किराने की दुकानों को कम समय देने और शराब की दुकानों का ज्यादा समय देने पर भी सरकार को घेरा।
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कांग्रेस ने शराब दुकान खोलने की टाइमिंग को लेकर सरकार पर निशाना साधा तो, मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार करते हुए जवाब दिया कि वो कांग्रेस सवाल उठा रही है, जो छत्तीसगढ़ में शराब की होम डिलीवरी कर रही है। कांग्रेस को सिर्फ राजनीति करने के अलावा कोई भी काम नहीं है।
बहरहाल प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दर कम होते ही सरकार ने अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर दी है। भोपाल सहित कई जिलों में शराब की दुकानें रात 11.30 बजे तक खुल सकेंगी। वहीं, दूसरी ओर प्रशासन का साफ निर्देश है कि नाइट कर्फ्यू में बाहर निकलने पर कार्रवाई होगी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब लोग घर से बाहर ही नहीं निकल सकते, तो शराब की दुकान खोलने की अनुमति ही क्यों दी जा रही है? आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि किराना दुकान 4 घंटे, शराब दुकानों को 9 घंटे खोलने की अनुमति है?