’कुकुरदेव मंदिर’ यहां भगवान की तरह होती है 'कुत्ते' की पूजा, जानिए क्या है इसके पीछे मान्यता... | Kukurdev Temple: worship of 'dog' is like God, know what is the belief behind it ...

’कुकुरदेव मंदिर’ यहां भगवान की तरह होती है ‘कुत्ते’ की पूजा, जानिए क्या है इसके पीछे मान्यता…

’कुकुरदेव मंदिर’ यहां भगवान की तरह होती है 'कुत्ते' की पूजा, जानिए क्या है इसके पीछे मान्यता...

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 08:17 PM IST
,
Published Date: January 21, 2021 11:11 am IST

रायपुरः मंदिरों में भगवान की पूजा होते तो आपने देखा ही होगा, लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि मंदिर में ’कुत्ते’ की पूजा होती है। आपको शायद जानकर हैरानी होगी कि किसी मंदिर में कुत्ते को भगवान की तरह पूजा जाता है, लेकिन ये सच है। यह भी बता दें कि पूरी दुनिया में शायद ही कोई ऐसा मंदिर होगा, जहां कुत्ते की पूजा की जाती है। इस मंदिर को दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस मंदिर को कुकुरदेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। तो चलिए आपको बतातें हैं कि क्यों इस मंदिर में कुत्ते की पूजा होती है और क्या मान्यताएं हैं…

Read More: लोकवाणी में इस बार “उपयोगी निर्माण, जनहितैषी अधोसंरचनाएं, आपकी अपेक्षाएं” विषय पर होगी बात, इन तारीखों को करा सकते हैं रिकॉर्डिंग

दरअसल कुकुदेव का मंदिर छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के खपरी गांव में है। कुकुरदेव का मंदिर राजधानी रायपुर से महज 132 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दि में एक बंजारे ने करवाया था। 13वीं सदी में यहां फणि नागवंशी राजाओं का राज था। मंदिर के गर्भगृह में कुत्ते की मुर्ति स्थापित की गई है साथ ही एक शिवलिंग की भी स्थापना की गई है। सावन के महीने में इस मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है। लोग शिव जी के साथ-साथ कुत्ते (कुकुरदेव) की भी वैसे ही पूजा करते हैं जैसे शिवमंदिरों में नंदी की पूजा होती है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि यहां आने से न कुकुरखांसी होने का डर रहता है और न ही कुत्ते के काटने का खतरा रहता है।

Read More: उमा भारती ने की बीजेपी शासित राज्यों में शराबबंदी की मांग, कहा- थोड़े से राजस्व के लालच में..

ये है मान्यता
इस मंदिर को लेकर लोगों का कहना है कि 13वीं सदी में खपरी गांव में माली धोती नाम का एक बंजारा अपने परिवार के साथ रहने आया था। बंजारे के साथ एक कुत्ता भी था, जो उसके परिवार की रक्षा करता था। लेकिन इसी दौरान खपरी गांव में आकाल पड़ा, लोग दाने-दाने को मोहताज थे। ऐसे हालात में माली ने गांव के एक साहूकार से कर्ज लिया। लेकिन वह तय समय पर कर्ज नहीं चुका पाया, तो उसने अपना कुत्ता साहूकार के पास में गिरवी रख दिया।

Read More: CM भूपेश बघेल ने वित्त सहित विभिन्न विभागों की बजट तैयारियों की समीक्षा, वरिष्ठ अधिकारी रहे मौजूद

कुछ समय बाद ही साहूकार के घर पर चोरी हो गई। चोरों ने सारा माल जमीन के नीचे गाड़ दिया और सोचा कि बाद में उसे निकाल लेंगे। साहूकार परेशान हो गया, लेकिन कुत्ते ने चोरों द्वारा चोरी कर गड़ाया धन को ढूंढ निकाला और अपने मालिक साहूकार को वहां लेकर गया। उस जगह को खोदा गया तो साहूकार का धन वहां गड़ा हुआ मिला। इसके बाद साहूकार ने कुत्ते को बंजारा माली धोती को वापस करने का फैसला किया और उसने कुत्ते के गले में एक चिट्ठी बांधकर बंजारे के पास भेज दिया।

Read More: उत्तर बस्तर के ऐतिहासिक महल में हुई चोरी, 150 साल पुरानी मूर्तियां और लाखों रुपए का सामन ले उड़े चोर

कुत्ता अपने पुराने मालिक बंजारे के पास पहुंचा तो बंजारा उसे देखकर बौखला उठा। उसे लगा कि कुत्ता साहूकार के पास से भागकर आया है और उसने कुत्ते को पीट-पीटकर मार डाला। लेकिन इसके बाद बंजारे की नजर कुत्ते के गले में बंधी चिट्ठी को देखा और पढ़ने के बाद उसे दुख हुआ। बंजारा ने कुत्ते को वहीं, पर दफना दिया। साथ ही उस पर स्मारक बनवा दिया। स्मारक को बाद में लोगों ने मंदिर का रूप दे दिया, जिसे आज लोग कुकुर मंदिर के नाम से जानते हैं।

Read More: गौतम गंभीर ने राम मंदिर निर्माण में किया सहयोग, 1 करोड़ की राशि दान की