नई दिल्ली। दो गुण सफाई और दूसरा अनुशासन हमारे जीवन में बेहद जरूरी जगह रखती है। हर धर्म में सफाई और अनुशासन जरूरी बताए गए हैं। ये दोनों सामाजिक व्यवस्था के भी महत्वपूर्ण कार्य हैं, जिनके दम पर समाज सभ्य होकर आगे बढ़ता है। जब कोई गुण धारण करते हैं, तब आध्यात्मिक रूप से यह जानना जरूरी हो जाता है कि वह कितना धारण किया जाए, उसकी सीमाएं क्या हों, उसकी मात्रा क्या हो और उसको न धारण करने वालों के साथ हमारा व्यवहार कैसा हो? अगर हम इन पर गुणों की समीक्षा नहीं करेंगे, तो हमारा कोई भी गुण समाज के लिए हितकारी नहीं होगा।
पढ़ें- जीवन में हमेशा धर्म का पालन करें, सफलता आपके कदम चूमेगी
पहले सफाई को लेते हैं। इसे मन और तन की सफाई में बांटा जा सकता है। जो व्यक्ति मन की सफाई किए बिना केवल तन की सफाई में अधिक निपुणता दिखाएगा, उसमें तानाशाही की प्रवृत्ति अधिक बलवती होगी। तानाशाहों का इतिहास बताता है कि वे तन की सफाई को बड़े मजबूत ढंग से उठाते हैं मगर मन की सफाई पर मौन रह जाते हैं। ऐसा नहीं कि इनकी सफाई खोखली है। वे साफ तन, साफ समाज अपने दिल से चाहते हैं मगर यह नहीं समझते कि मन की सफाई ही महत्वपूर्ण है।
पढ़ें- नर्मदा गौ कुंभ के समापन में बोले सीएम, ‘मुझे नई पीढ़ी की चिंता..देश …
दूसरा गुण है अनुशासन, अनुशासित रहना जीवन और समाज के लिए बेहद जरूरी है। अध्यात्म में अनुशासन का अहम स्थान है, लेकिन अनुशासन के नाम पर की गई जबरदस्ती, अनुशासन को एक अवगुण में बदल देती है।
पढ़ें-धर्म विशेष : होलाष्टक में नहीं किए जाते कोई भी शुभ कार्य, इन 8 दिनो…
अनुशासन अगर एक ऋषि का गुण है तो कई बार यह किसी तानाशाह का भी आभूषण है। हम अक्सर जब दूसरे को अनुशासित करने निकल उठते हैं, तब यह अवगुण बन जाता है। इसलिए जिस गुण को मन या तन में धारण करना है, इसको समझो। गुरु यहीं पर महत्वपूर्ण हो जाता है, जो आपको बतलाता है कि अब यहां से तुम्हारे गुण अवगुण में बदल सकते हैं, संभल जाओ।
Dev Diwali 2024 : देव दिवाली की रात घर के…
13 hours agoGurbani Shabad : आज गुरुपर्व के शुभ दिन बाबा नानक…
16 hours ago