भिलाई। भिलाई इस्पात सयंत्र के यूनियन चुनाव में सयंत्र कर्मियों ने इस बार सीटू को मान्यता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। बीएसपी कर्मचारियो ने इस बार इंटक को चुना है । इस बार 87 प्रतिशत मतदान हुआ, 16255 मतदाताओं में 14623 कर्मचारियो ने मतदान किया जिसमें इंटक को 4447 वोट मिले और पूर्व में काबिज यूनियन 3480 वोट लेकर दूसरे नम्बर पर रही। जीत के बाद यूनियन के महासचिव ने एसके बघेल ने पे रिवीजन के मुद्दे को अपनी पहली प्राथमिकता बताया।
पढ़ें- विशालकाय अजगर ने लोमड़ी का किया शिकार, निगलने की कोशिश नाकाम… वीडियो वायरल
शुक्रवार शाम 5 बजे मतदान समाप्त होने के बाद मतगणना केंद्र बीटीआई कॉलेज में सभी यूनियन के नेता व कर्मचारी परिणाम जानने डटे रहे, समय को ध्यान में रखते हुए आठ राउंड में गिनती होने वाली मतगणना को तीन राउंड में समेट दिया गया। देर रात मतगणना समाप्त हुई और सभी यूनियनों के प्राप्त मतों की घोषणा की गई। 16255 मतदाताओं में से 14126 कर्मचारीयों ने वोट किया। इंटक ने शुरुआत से ही बढ़त बनाए रखा और अंततः 607 मतों से इटक ने जीत हासील की।
पढ़ें- मौसम विभाग का बारिश को लेकर अलर्ट, प्रदेश में अगले 48 घंटे में इन 1…
वहीं पूर्व में मान्यता प्राप्त सीटू को 3480 वोट मिले, सीटू दूसरे नम्बर पर रहा, भारतीय मजदूर संघ 1879 वोट के साथ तीसरे नम्बर पर रहा। श्रम विभाग के नियम के अनुसार विजेता यूनियन को ही बीएसपी प्रबन्धन के साथ एग्रीमेंट का अधिकार होता है। जीत के बाद इंटक के महासचिव एसके बघेल ने भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों के पे रिवीजन के मुद्दे को अपनी पहली प्राथमिकता बताते हुए कहा कि इसके लिए अब प्रयास प्रारंभ किया जाएगा । वहीं भिलाई इस्पात संयंत्र की पूर्व में मान्यता प्राप्त सीटू के द्वारा एक भी लोकल एग्रीमेंट नहीं किए जाने पर इंटक ने कहा कि अब प्रबंधन के साथ इंटक मिलकर लोकल एग्रीमेंट करेगी और एनजेसीएस में सभी मुद्दों को पहुंचाएगी ।
पढ़ें- गन का फर्जी लाइसेंस बनाकर बैंक में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने व…
भिलाई इस्पात संयंत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के पेंशन, पीएफ, मेडिकल और टाउनशिप के मुद्दे पर भी इस बार काम किया जाएगा। भिलाई इस्पात संयंत्र में हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सेफ्टी कमिटी के गठन पर जोर दिया जाएगा। वहीं संयंत्र के कर्मचारियों को इंटक से उम्मीद है कि उनकी सारी समस्याएं अब दूर होंगी लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार होने के कारण कांग्रेस समर्थित इंटक को सरकार से जूझना पड़ सकता है। केंद्र की भाजपा सरकार से अपनी समस्याएं मनवाने के लिए श्रम मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय तक अपनी बात पहुंचाने पड़ेगी वहीं एनजेसीएस में एग्रीमेंट कर सभी मुद्दों को सुलझाने की बात इंटक यूनियन के नेता कर रहे है।
पढ़ें- शबरी नदी का बढ़ रहा है लगातार जलस्तर, कई वाहन सड़क में पानी भरने से फंसे
महबूबा को किस बात का है डर