रायपुर एयरपोर्ट से शुरू होंगी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें, नक्सल प्रभावित जिलों के विकास के लिए साढ़े 11 हजार करोड़ की मांग | International flights will start from Raipur Airport, demand of 11.5 million rupees for development of Naxalite affected districts

रायपुर एयरपोर्ट से शुरू होंगी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें, नक्सल प्रभावित जिलों के विकास के लिए साढ़े 11 हजार करोड़ की मांग

रायपुर एयरपोर्ट से शुरू होंगी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें, नक्सल प्रभावित जिलों के विकास के लिए साढ़े 11 हजार करोड़ की मांग

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:12 PM IST
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Published Date: January 29, 2020 7:25 am IST

रायपुर। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आज नवा रायपुर अटल नगर में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 22वीं बैठक आयोजित हुई। बैठक में मध्य क्षेत्रीय परिषद के उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिस्सा लिया। बैठक में विभिन्न अन्तर्राज्यीय विषयों समेत छत्तीसगढ़ से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गयी।

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मुख्यमंत्री बघेल ने रायपुर एयरपोर्ट को अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए अनुमति देने और बिलासपुर से उड़ाने शुरू करने की मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि रायपुर एयरपोर्ट में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कारगो विमानों के परिचालन की अनुमति प्रदान करें। बैठक में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रायपुर एयरपोर्ट को अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने पर सहमति व्यक्त की। केन्द्रीय गृह मंत्री ने बिलासपुर से उड़ाने प्रारंभ करने के संबंध में सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के स्तर पर पहल का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हर राज्य में कम से कम एक अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट होना चाहिए। मुख्यमंत्री बघेल ने इस संबंध में कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाएं सात राज्यों से मिलती हैं, जिसके कारण छत्तीसगढ़ को इस सात राज्यों के लॉजिस्टिक हब तथा एवीएशन हब के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों में पीएमजीएसवाई योजना के अतिरिक्त 02 गांवों के मध्य कनेक्टिविटी के लिए सड़क निर्माण की मांग की, जिस पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने सैद्धांतिक सहमति प्रदान की। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 10 जिले भारत सरकार द्वारा घोषित आकांक्षी जिलों में आते हैं, जिनमें से बस्तर संभाग के 7 जिलों के साथ 3 अन्य जिले राजनांदगांव, महासमुंद तथा कोरबा हैं। इन जिलों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तथा इनमें से वामपंथी उग्रवाद प्रभावित अंचलों में नवनिर्माण के लिए 11,443.76 करोड़ रूपये का विशेष पैकेज भारत सरकार के पास लंबित है, जिसे अतिशीघ्र मंजूर किये जाने की आवश्यकता है।

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बैठक में भूपेश बघेल ने उपार्जित धान में से पीडीएस के अलावा शेष अनाज के समुचित उपयोग के लिए व्यवस्था बनाने की मांग की, जिससे अनाज का उचित उपयोग हो सके। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की जैव ईंधन नीति, 2018 के प्रावधानों के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बायो एथेनॉल सयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए निजी निवेश को आमंत्रित करने हेतु विज्ञापन जारी किया गया है। हमारा अनुरोध है कि राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति धान आधारित बायो एथेनॉल के विक्रय मूल्य को शीरा, शक्कर, शुगर सिरप से उत्पादित एथेनॉल के विक्रय दर के समतुल्य रखा जाए तथा धान के एथेनॉल उत्पादन में उपयोग की अनुमति भी दी जाए, ताकि बायो एथेनॉल का उत्पादन वाणिज्यिक आधार पर लाभप्रद बना रहे। बघेल ने कहा कि समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन नीति में जैसे- एफसीआई को कम्पनसेट करने का प्रावधान है, उसी तरह उपार्जन कार्य करने वाली राज्य सरकार की एजेंसी को भी कम्पनसेट दिया जाए। छत्तीसगढ़ के इस सुझाव पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने विचार का आश्वासन दिया।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत वन है। इसलिए बिगड़े वनों वाले क्षेत्र में सिंचाई और बिजली विस्तार जैसे विकास कार्यो की स्वीकृति दी जानी चाहिए। केन्द्रीय गृह मंत्री ने इस प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में विचार का आश्वासन दिया।
बघेल ने झीरम कांड की जांच छत्तीसगढ़ की जांच एजेंसी को सौंपने की मांग की। उन्होंने कहा कि एनआईए ने कई बिन्दुओं की अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में हुई झीरमघाटी की घटना को लेकर एनआईए की कार्यप्रणाली से कुछ असमंजस की स्थिति बनी है, जिसका समाधान नीति संगत रूप से आवश्यक प्रतीत होता है। राज्य शासन द्वारा प्रकरण की डायरी एनआईए को सौंपी गई थी।

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एनआईए ने अपनी जांच पूरी कर ली तथा प्रकरण समाप्त कर दिया। छत्तीसगढ़ सरकार को इस प्रकरण के कुछ अन्य तथ्यों की जांच हेतु डायरी की आवश्यकता है जिसके लिए राज्य शासन द्वारा तीन बार एनआईए से अनुरोध किया जा चुका है। कृपया संबंधित संस्था को इस बाबत् निर्देश प्रदान किया जाना चाहिए।

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मुख्यमंत्री द्वारा छत्तीसगढ़ की 08 जातियों को जनजाति में शामिल करने की मांग की गई थी, जिस पर भारत सरकार द्वारा 05 जातियों के लिए संस्तुति कर दी गयी है, जिसे केन्द्र सरकार द्वारा केबिनेट में पास कर शीघ्र ही संसद में रखा जाएगा। उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से पलायन किए करीब एक लाख आदिवासियों को तेलंगाना में जाति प्रमाण पत्र का लाभ नहीं मिल पाने का मुद्दा उठाया।

बघेल ने मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में कहा कि छत्तीसगढ़ का उत्तरीय भाग सरगुजा गंगा नदी के बेसिन का हिस्सा है। राज्य सरकार द्वारा गंगा नदी को स्वच्छ करने के लिए नमामी गंगा प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। गंगोत्री से लेकर बंगाल की खाड़ी तक गंगा नदी के जल प्रवाह में 2.8 प्रतिशत जल छत्तीसगढ़ से जाता है। इसलिए नमामी गंगा प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृत राशि का हिस्सा छत्तीसगढ़ को मिलना चाहिए। इस राशि से बाढ़ नियंत्रण का कार्य हो सकेगा, अपितु भूमि जल का रिचार्ज, कृषि हेतु जल की उपलब्धता एवं गंगा नदी में वर्ष भर जल प्रवाह बनाये रखने का कार्य किया जा सकेगा।

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बघेल ने बैठक में यह मांग भी रखी कि वन क्षेत्रों में जिन्हें वन अधिकार पत्र दिए गए हैं, उन्हें किसान सम्मान निधि की राशि छह हजार रूपए से बढ़ाकर 12 हजार रूपए दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय परिषद में छत्तीसगढ़ को उत्तराखंड वाले जोन के साथ रखा गया है, जो कि राज्य की आवश्यकताओं और किये जाने वाले प्रयासों के लिए सुसंगत समूह नहीं है। हमारा अनुरोध है कि छत्तीसगढ़ को झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र जैसे राज्य वाले समूहों के साथ रखा जाए, जिससे हम अपने राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए सुनियोजित प्रयास कर सकें।

 
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