ब्लैक फंगस की दवा बेचने वालों पर कार्रवाई के निर्देश, दवा दुकानों की मॉनिटरिंग की जाएगी, बिलासपुर में ब्लैक फंगस के तीन मरीज मिले | Instructions for action against black fungus sellers Drug stores will be monitored Three patients found in Bilaspur

ब्लैक फंगस की दवा बेचने वालों पर कार्रवाई के निर्देश, दवा दुकानों की मॉनिटरिंग की जाएगी, बिलासपुर में ब्लैक फंगस के तीन मरीज मिले

ब्लैक फंगस की दवा बेचने वालों पर कार्रवाई के निर्देश, दवा दुकानों की मॉनिटरिंग की जाएगी, बिलासपुर में ब्लैक फंगस के तीन मरीज मिले

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:40 PM IST
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Published Date: May 17, 2021 4:34 pm IST

रायपुर। ब्लैक फंगस की दवा बेचने वालों पर कार्रवाई किए जाने के निर्देश जारी किए गए हैं। खाद्य और औषधि प्रशासन नियंत्रक ने आदेश दिया है।

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दवा बेचने से पहले विभाग को जानकारी देना जरूरी होगा, बिना जानकारी बेचने पर लाइसेंस निरस्त किए जाने की कार्रवाई की जाएगी। ब्लैक फंगस की दवा को लेकर दवा दुकानों की मॉनिटरिंग की जाएगी।

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बता दें कि बिलासपुर में ब्लैक फंगस के 3 नए मरीज मिले हैं। सिम्स में सभी मरीजों को भर्ती किया गया है।भर्ती मरीजों में दो महिला और एक पुरुष हैं। बिलासपुर के सिम्स में 2 महिलाओं सहित 3 मरीजों को भर्ती किया गया है। इसमें दो मरीजों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। तीनों ही कोरोना संक्रमित होने के बाद ठीक हो गए थे। इसके बाद उन्हें दिक्कत शुरू हुई।

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दरअसल, ब्लैक फंगस को लेकर शासन के निर्देश पर प्रशासन अलर्ट पर है। ब्लैक फंगस से प्रभावित मरीजों की पहचान की जा रही है। इसी कड़ी में आज तीनों नए मरीजों को सिम्स लाया गया है। इसमें रतनपुर की 40 वर्षीय महिला, गौरेला पेंड्रा जिले की 35 वर्षीय महिला और जांजगीर अकलतरा के 50 वर्षीय पुरुष शामिल हैं। सिम्स प्रबंधन ने बताया कि, इनका उपचार शुरू कर दिया गया है। वहीं स्थिति को देखते हुए मरीजों के बढ़ने की भी आशंका सिम्स प्रबंधन ने जताई है। गौरतलब है कि जिले में इससे पहले ब्लैक फंगस के दो और मरीजों की पहचान हुई है, जिनका उपचार रायपुर के एम्स में चल रहा है। वही बिलासपुर, गौरेला पेंड्रा मरवाही और जांजगीर जिले से 3 नए मामलों के सामने आने के बाद अब प्रशासन की चिंता और बढ़ गई है।

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छत्तीसगढ़ के लोगों को कोरोना से अभी राहत मिली नहीं थी कि ब्लैक फंगस पांव पसारने लगा है। इसी बीच दुर्ग जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है, दरअसल जिले में एक और ब्लैक फंगस के मरीज की मौत हो गई है, जिसके बाद प्रदेश में ब्लैक फंगस से मौत का आंकड़ा तीन पहुंच गया है।

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मिली जानकारी के अनुसार चरोदा निवासी 61 वर्षीय महिला का चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चल रहा था। महिला ब्लैक फंगस की बीमारी से पीड़ित थी। सोमवार रात महिला की उपचार के दौरान मौत हो गई। बता दें कि दुर्ग जिले में अब तक ब्लैक फंगस के 14 मरीजों की पुष्टि हुई है।

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वहीं दूसरी ओ स्वास्थ्य विभाग ने ब्लैक फंगस को लेकर अहम जानकारी दी है। स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि राज्य में ब्लैक फंगस से ग्रसित मरीज के प्रकरण आ रहे हैं। अभी तक प्रदेश में 76 प्रकरण सामने आए हैं और उनका इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में इसके इलाज के लिए पर्याप्त दवाईयां हैं। राज्य में ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) का इलाज सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में किया जाएगा।

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ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नही है। यह एक मरीज से दूसरे मरीज को नही फैलता है। यह सेंकेडरी संक्रमण की श्रेणी में आता है। यह उन मरीजों को ज्यादा प्रभावित करता है जिन्हे अनियंत्रित डायबिटीज हो और कोविड से ग्रस्त होने के कारण स्टेरायड दवाई से उनका उपचार हुआ हो। यह बीमारी व्यक्तिगत साफ सफाई,मुख की साफ सफाई नही रखने वाले व्यक्तियों को अधिक हो सकती है। इसके अलावा जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो और उन्हे इम्यूनोसप्रेसेंट दवाईयां दी गई हों ,उनमें भी ब्लैक फंगस होने की संभावना अधिक होती है। पीड़ित मरीजों के उपचार हेतु राज्य के तकनीकी समिति के विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित स्टैन्डर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकाॅल राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को जारी किया है।

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ब्लैक फंगस से बचने के उपाय
ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है और दवाईयां ले रहे हैं। इससे उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होती है। यदि व्यक्ति के शरीर में यह फंगस सूक्ष्म रूप में शरीर के अन्दर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े प्रभावित होंगे जिससे गम्भीर बीमारी हो सकती है। यदि इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया गया तो यह घातक हो सकती है।

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यह बीमारी किसे हो सकती है
यह बीमारी कोविड-19 मरीजों में जो डायबीटिक मरीज हैं या अनियंत्रित डायबीटिज वाले व्यक्ति को, स्टेरोईड दवाईयां ले रहे व्यक्ति को या आई.सी.यू. में अधिक समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है। यदि निम्नानुसार लक्षण दिखे तो चिकित्सक से तुरंत सम्पर्क करना चाहिए।

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बीमारी के लक्षण
आंख/नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या लाल तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द होना, चेहरे में एक तरफ सूजन होना, नाक/तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतों का ढ़िला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में परिवर्तन आना।

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कैसे बचा जा सकता है
धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर।

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