महंगाई की मार...जनता लाचार ! मार न डाले ये महंगाई | Inflation hit ... public helpless! Do not kill this inflation

महंगाई की मार…जनता लाचार ! मार न डाले ये महंगाई

महंगाई की मार...जनता लाचार ! मार न डाले ये महंगाई

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:36 PM IST
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Published Date: February 17, 2021 6:17 pm IST

रायपुर। बढ़ती महंगाई ने एक बार फिर लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है। कोरोना काल में स्पेशल पैकेज का ऐलान हो या। आम बजट में महंगाई से राहत पहुंचाने के लिए बड़ी घोषणाएं। महंगाई की रफ्तार पर ब्रेक लगाने में अबतक नाकाम रही।उल्टे महंगाई ने अपने तेवर और तेज कर लिए है।पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतें जहां आम जनता की जेब जला रही है।तो रसोई गैस, दाल और खाद्य तेलों के बढ़ते दाम किचन का बजट बिगाड़ रहा है।महंगाई को कम करने के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं। वहीं इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप की सियासत भी तेज है। ऐसे में सवाल है कि कब लगेगी महंगाई पर ब्रेक ? सवाल ये भी कब तक महंगाई की आग में झुलसती रही आम जनता?

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कोरोना महामारी की मार से जूझ रहे लोग अब महंगाई की आग में झुलसने लगे हैं। सबसे ज्यादा पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने लोगों को रुलाया है. पिछले डेढ़ महीने में पेट्रोल में करीब 5 रुपए 60 पैसे और डीजल में करीब 6 रुपए 51 की बढ़ोतरी हुई है।GFX- एक जनवरी को रायपुर में पेट्रोल की कीमत 82 रुपए 46 पैसे थे।तो आज 88.6 रुपए हैं। वहीं 1 जनवरी को 80 रुपए 10 पैसे में मिलने वाला डीजल के लिए आज प्रति लीटर 86.61 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।

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जाहिर है पेट्रोल के मुकाबले डीजल के दामों में इजाफा ज्यादा है, लिहाजा ट्रांसपोर्टरों ने माल भाड़ा बढ़ाए जाने का संकेत दिया है।जिसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ता तय है।

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बढ़ती महंगाई अब लोगों का किचन बजट भी बिगाड़ रहा है। रायपुर में एक नवंबर को घरेलू गैस की कीमत करीब 636 थी।जिसकी कीमत आज 840 रुपए 52 पैसे हो गई है। यानी पिछले तीन महीने में प्रति सिलेंडर 200 रुपए ज्यादा। खाद्य तेलों की आसमान छूती कीमतें लोगों के स्वाद को बिगाड़ रही है। सनफ्लावर तेल में पिछले 10 महीने में लगभग 780 रुपए प्रति टीन की बढ़ोतरी हुई है।

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इसी तरह सोयाबीन तेल में लगभग 700 रुपए, पाम ऑयल में 650 रुपए, राईसब्रान 500 रुपए, फल्ली तेल 300 रुपए प्रति टीन महंगे हो गए है। वहीं रोजमर्रा के उपयोग में आने वाला आलू-प्याज और सब्जियों के दामों ने किचन के बजट को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पिछले एक महीने में दाल की कीमतों में भी 10 से 15 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। व्यापारी इसके पीछे फसल उत्पादन में कमी और नुकसान को बता रहे हैं।