नई दिल्ली। चीन से तनाव के बीच भारत को सामरिक रुप से बेहद अहम राफेल विमान की पहली खेप आज मिल जाएगी। फ्रांस के एयरबेस से पांच राफेल लड़ाकू विमान ने भारत के लिए कूच कर दिया है। सूत्रों की मानें तो पांचों राफेल विमान की तैनाती अगले हफ्ते चीन सीमा पर की जाएगी।
राफेल के आते ही भारतीय वायुसेना की ताकत में कई गुना का इजाफा होगा। भारत को चीन और पाकिस्तान से दो तरफा चुनौती से निपटना पड़ रहा है। भारतीय थिंक टैंक चीन और पाकिस्तान के पास फाइटर जेट की भी समीक्षा कर चुका है। पाकिस्तान के पास अमेरिका से खरीदा हुआ F-16 फाइटर जेट है, तो वहीं चीन के पास स्वनिर्मित जे-20 लड़ाकू विमान है।
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पाकिस्तान के पास अमेरिकी कंपनी का बनाया हुआ एफ-16 फाइटर जेट विमान भारतीय राफेल के आगे कहीं नहीं टिकता है। हालांकि चीन का जे-20 फाइटर जेट, कई खूबियों में राफेल को टक्कर देता है। चीन के फाइटर जेट जे-20 का जवाब राफेल के पास है।
राफेल विरुद्ध जे-20 और f-16
राफेल का कॉम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है। जबकि, एफ-16 का 4200 किलोमीटर है। वहीं, जे-20 का 3400 किलोमीटर है। कॉम्बैट रेडियस यानी अपनी उड़ानस्थल से जितनी दूर विमान जाकर सफलतापूर्वक हमला कर लौट सकता है, उसे विमान का कॉम्बैट रेडियस कहते हैं।
राफेल से तीन तरह की मिसाइलों से हमला किया जा सकता है। हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल, हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल इसके अलावा हैमर मिसाइल को भी राफेल कैरी कर सकता है। इन मिसाइलों से लैस राफेल दुश्मन के लिए आसमान चलता फिरता काल है।
बता दें कि राफेल में लगी मीटियोर मिसाइल 150 किलोमीटर और स्कैल्फ मिसाइल 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है, जबकि हैमर मिसाइल एक ऐसी मिसाइल है, जिसका इस्तेमाल कम दूरी का टारगेट हिट करने के लिए किया जाता है। ये मिसाइल आसमान से जमीन पर वार करने के लिए कारगर साबित हो सकती हैं।
वहीं पाकिस्तान की एफ-16 में सिर्फ एमराम मिसाइलों को लोड किया जा सकता हैं, जो सिर्फ 100 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं। वहीं चीन के जे-20 जेट से 300 किमी तक मार करने वाली पीएल-15 मिसाइलें और 400 किलोमीटर तक मार करने वाली पीएल-21 मिसाइल दागी जा सकती हैं।
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ऊंचाई हासिल करने के मामले में पाकिस्तान का एफ-16 राफेल के आगे कहीं नहीं टिकता । पाकिस्तानी एफ-16 का रेट ऑफ क्लाइंब 254 मीटर प्रति सेकंड है, वहीं राफेल का रेट ऑफ क्लाइंब 300 मीटर प्रति सेकंड है। चीन के जे-20 की 304 मीटर प्रति सेकंड है।
राफेल 60 सेकण्ड में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है। पाकिस्तानी एफ-16 एक मिनट में 15,240 मीटर और चीन का जे-20 एक मिनट में 18,240 मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है।
भारत के राफेल की गति 2450 किलोमीटर प्रतिघंटा है, यानी ध्वनि की गति से दोगुनी स्पीड। वहीं चीन के जे-20 फाइटर जेट की स्पीड 2100 किलोमीटर प्रति घंटा है। पाकिस्तानी एफ-16 की गति 2414 किलोमीटर प्रति घंटा है।
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राफेल ओमनी रोल लड़ाकू विमान है। यह पहाड़ों पर कम जगह में उतर सकता है, इसे समुद्र में चलते हुए युद्धपोत पर उतारा जा सकता है, राफेल चारों तरफ निगरानी रखने में सक्षम है। इसका टारगेट अचूक होता है। 360 डिग्री विजिबिलिटी की वजह से पायलट को बस विरोधी को देखना है और बटन दबा देना है, इतना करते ही टारगेट हिट हो जाता है। राफेल लड़ाकू विमान एक बार में करीब 26 टन वजन कैरी कर सकता है। राफेल 60 सेकण्ड में 36 से 60 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। एक बार फ्यूल भरने पर यह लगातार 10 घंटे की उड़ान भर सकता है। ये खूबियां पाकिस्तान के एफ-16 और चीन के लड़ाकू विमान जे-20 के मुकाबले कहीं अधिक हैं।
राफेल पर लगी गन एक मिनट में 2500 फायर करने में सक्षम है। राफेल का रडार सिस्टम उसे इन दोनों ही फाइटर जेट से श्रेष्ठ सिद्ध करता है। राफेल का रडार सिस्टम 100 किलोमीटर के दायरे में एक बार में एकसाथ 40 टारगेट की पहचान कर सकता है, जबकि पाकिस्तानी एफ-16 का रडार 84 किलोमीटर के दायरे में केवल 20 टारगेट को ही पहचान सकता है।
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जानकारी के मुतबिक फ्रांस से लाए जा रहे राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना के ट्रेंड पायलट उड़ा रहे हैं, भारत पहुंचने से पहले राफेल विमान रीफ्यूलिंग के लिए संयुक्त अरब अमीरात रुकेंगे, अल धाफरा एयरबेस पर विमानों की रीफ्यूलिंग की जाएगी।
फ्रांस से चलकर तकरीबन 7364 किलोमीटर की हवाई दूरी तय करके ये पांचों विमान बुधवार को अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे। सूत्रों की मानें तो पांचों राफेल विमान की तैनाती चीन सीमा पर की जाएगी। बता दें कि वायुसेना के 12 पायलटों ने फ्रांस में राफेल लड़ाकू जेट पर अपनी ट्रेनिंग पूरा कर ली है। 36 लड़ाकू विमानों के लिए कुछ और पायलट फ्रांस में प्रशिक्षण ले रहे हैं।
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