न्यूयॉर्क। नए साल में 1 जनवरी से भारत एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अस्थाई सदस्य बनने जा रहा है। साल 2020 में जिस तरह भारत ने हिमालय पर चीन की चुनौती का सामना किया है, उसके मद्देनजर दुनियाभर की निगाहें भारत पर टिकी हैं। कई देशों को अपनी आक्रामकता से परेशान करने वाले चीन ने UNSC में पाकिस्तान का साथ देते हुए कश्मीर का मुद्दा उठाने की कोशिश भी की थी। ऐसे में यह दो साल की सदस्यता भारत के लिए एक बड़ा मौका साबित होगी।
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बता दें कि संयुक्त राष्ट्र में चीन की स्थिति भी काफी मजबूत है। न सिर्फ उसने बजट में योगदान बढ़ाया है बल्कि उसके कई संगठनों के उच्चपदों पर उसके अधिकारी भी पहुंच चुके हैं। ऐसे में भारत की UNSC सदस्यता का समय और भी अहम हो जाता है। चीन भारत के खिलाफ कश्मीर का मुद्दा उठाकर पाकिस्तान की मदद करने की कोशिश में रहा है लेकिन भारत उसके खिलाफ हॉन्ग-कॉन्ग और ताइवान को लेकर उसके तानाशाही कदमों पर निशाना भी साध सकता है।
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भारत की अस्थाई सदस्यता के कारण सीमा पार आतंकवाद, आतंकवाद को फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग, कश्मीर जैसे मुद्दों पर भारत की स्थिति मजबूत होगी। परिषद में भारत नॉर्वे, केन्या, आयरलैंड और मेक्सिको के अलावा पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका और अस्थायी सदस्यों एस्तोनिया, नाइजर, सेंट विंसेंट, ट्यूनीशिया और वियतनाम के साथ बैठेगा। भारत अगस्त 2021 में 15 देशों वाली शक्तिशाली परिषद के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाएगा। हर सदस्य देश बारी-बारी से एक माह के लिए परिषद की अध्यक्षता करता है।
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