नई दिल्ली। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने कश्मीर मुद्दे पर टिप्पणी कर नया विवाद खड़ा कर दिया। पाकिस्तान की संसद में राष्ट्रपति ने कश्मीर की स्थिति पर चिंता जताई थी। वहीं कश्मीरियों के संघर्ष की तुलना प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तुर्की के लोगों के संघर्ष से कर दी थी।
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उन्होंने कहा था कि इस क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए इस मुद्दे का तत्काल समाधान निकालने की जरूरत है। तुर्की कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालने में भारत और पाकिस्तान की मदद करने के लिए तैयार है।
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उनके इस बयान के बाद भारत ने तुर्की के राजदूत को समन जारी कर इस बयान का कड़ा विरोध जताया। विदेश मंत्रायल के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि इस तरह के बयान ना तो इतिहास की समझ को दिखाते हैं और ना ही कूटनीति की। कुमार ने कहा कि तुर्की के राष्ट्रपति का बयान ऐतिहासिक घटनाक्रमों से छेड़छाड़ से वर्तमान की अधूरी तस्वीर खींचने की कोशिश है।
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भारत ने तुर्की को चेतावनी भी दी है। कहा है कि इस तरह के बयानों से द्विपक्षीय संबंधों को झटका लग सकता है। कूटनीतिक सूत्रों की माने तो अगर तुर्की भारत विरोधी बयानबाजी करने से बाज नहीं आएगा तो भारत कंपनी TAIS के साथ 2.3 अरब डॉलर की डील से भी पैर पीछे खींच सकता है।
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इससे पहले तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ती करीबी और मजबूत होते रक्षा संबंधों को देखते हुए भारत ने पिछले कुछ समय में तुर्की को हथियारों के निर्यात में कटौती भी की है। इसके बाद अब पाकिस्तान के हमदर्द बनकर कश्मीर मुद्दे पर टिप्पणी करने पर भारत कूटनीतिक तरीका अपनाएगा।
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