बीजिंग: भारत और चीन के बीच लद्दाख की सीमा को लेकर तनाव लगातार जारी है। दोनों देशों के बीच जारी तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश में दुनिया की सबसे बड़ी हाईवे सुरंग ‘अटल टनल’ का शुभारंभ किया है। ‘अटल टनल’ के शुभारंभ को लेकर चीनियों को मिर्ची लगी है, जिसके बाद चीनी सरकार ने अपने सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के जरिए से अटल टनल पर टिप्पणी की है। मुखपत्र में छपी खबर में कहा गया है कि भारत को ऐसे उकसावे से बचना चाहिए, क्योंकि जरूरत पड़ने पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) टनल को तबाह कर देगी। हालांकि ड्रैगन ने अपने लेख में यह माना है कि ‘अटल टनल’ से भारतीय सेना को मदद मिलेगी।
मिली जानकारी के अनुसार ग्लोबल टाइम्स में लिखा है कि जैसा कि क्षेत्र पठार और कम आबादी वाला है, इस तरह के रास्ते को मुख्य रूप से सैन्य उद्देश्यों के लिए बनाया जाता है। अटल टनल की शुरुआत होने से भारतीय सेना को सीमा पर जल्द से जल्द तैनात किया जा सकेगा। इसके अलावा, सेना के लिए आपूर्ति को भी इसी टनल के माध्यम से पूरा किया जा सकेगा। यह सच है कि टनल की वजह से भारत के अन्य हिस्सों से लेह तक की दूरी कम हो जाएगी।
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मुखपत्र में आगे लिखा गया है कि भारतीय सैनिकों और उनकी आपूर्ति के लिए यह टनल काफी मददगार होने जा रही है। लेकिन, युद्ध के समय में टनल का कोई भी फायदा नहीं होगा। खासकर अगर सैन्य युद्ध होता है तो। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इस टनल को बेकार बना देगी। लेख के जरिए से चीन ने गीदड़भभकी देते हुए कहा है कि भारत को उकसावे से बचना चाहिए। लेख में कहा गया है कि ‘चीन और भारत के लिए बेहतर है कि वे एक-दूसरे के साथ शांति से रहें। भारत को खुद को संयमित करना चाहिए और उकसावे से बचना चाहिए क्योंकि कोई भी रास्ता मौजूद नहीं है जो भारत की युद्ध क्षमता को बढ़ा सकता है। आखिरकार, चीन और भारत के बीच युद्ध की प्रभावशीलता में बहुत बड़ा अंतर है। भारत चीन के स्तर तक पहुंचने से बहुत दूर है।
ज्ञात हो कि 3 सितंबर को पीएम मोदी ने मनाली-लेह को जोड़ने वाली दुनिया की सबसे लंबी हाईवे सुरंग अटल टनल का उद्घाटन किया। सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल सुरंग हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में बना है। इस अटल सुरंग से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई। अटल सुरंग दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है और 9.02 लंबी सुरंग मनाली को सालों भर लाहौल स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। पहले घाटी छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी। सुरंग को हिमालय के पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है।
अटल सुरंग का दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3060 मीटर की ऊंचाई पर बना है जबकि उत्तरी पोर्टल 3071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है। घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सुरंग में आठ मीटर चौड़ी सड़क है और इसकी ऊंचाई 5.525 मीटर है। इस सुरंग के दोनों द्वारों पर बैरियर लगे हैं। आपात स्थिति में बातचीत के लिए हर 150 मीटर पर टेलीफोन और हर 60 मीटर पर अग्निशमन यंत्र लगे हैं। घटनाओं का स्वत पता लगाने के लिए हर ढाई सौ मीटर पर सीसीटीवी कैमरा और हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली लगी है। हर 25 मीटर पर आपात निकास के संकेत है तथा पूरी सुरंग में ब्रोडकास्टिंग सिस्टम लगाया गया है। सुरंग में हर 60 मीटर की दूरी पर कैमरे भी लगाये गये हैं।
अटल सुरंग की डिजाइन प्रतिदिन तीन हजार कार और 1500 ट्रक के लिए तैयार की गई है, जिसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी।
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