रायपुर: कोरोना काल में आम आदमी केवल महामारी से नहीं जूझता रहा, बल्कि निजी अस्पताल और बीमा कंपनियों की मनमानी ने भी उन्हें पीस डाला। स्वास्थ विभाग के पास पहुंच रही शिकायतों में कई शिकायतें ऐसी ही हैं, जहां अस्पतालों ने मनमाने पैसे चार्ज किए, बीमा कंपनियों ने सरकार के नियमों का हवाल देकर क्लेम आधी कर दी और आम आदमी सालों तक किस्त पटाने के बाद भी आखिर में अपनी जेब से लाख खर्च कर इलाज कराने पर मजबूर हुआ।
कोरोना काल में मरीजों ने दवा, इंजेक्शन से लेकर ऑक्सीजन की कमी की वजह से अपनी जान गंवाई। वहीं जो मरीज ठीक हुए, उनके इलाज के बिल इतने भारी मरकम थे कि उसे देखकर वो हैरान हो गए। ये शख्स हैं रायपुर के प्रकाश अग्रवाल, जो 16 अप्रैल को निजी कोविड अस्पताल में भर्ती हुए। 8 दिनों तक ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी। 17 दिन बाद जब डिस्चार्ज हुए तो अस्पताल में उन्हें 4 लाख 24 हजार से ज्यादा का बिल थमा दिया। उन्होंने बताया कि अस्पताल ने हर स्तर पर सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाईं।
प्रकाश अग्रवाल की तरह कई और लोगों ने भी इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग से की है, लेकिन अस्पतालों पर कार्रवाई की बजाए विभाग भी उसका बचाव करता नजर आता है। प्राइवेट अस्पताल बोर्ड भी आम लोगों की परेशानी से अलग सारा दोष बीमा कंपनी पर थोप रहा है। दावे कुछ भी किए जाएं, लेकिन सच्चाई ये है कि कोरोना काल में एक मरीज, कोरोना के साथ-साथ निजी अस्पताल और बीमा कंपनियों के बीच पिस कर रह गया उसे राहत कहीं से भी नहीं मिली। ना तो सरकार इनका दर्द समझ रही है और ना ही कोई और संस्था। सवाल ये हैं कि आखिर इनकी सुनेगा कौन।