भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से मांगी थी भिक्षा, छत्तीसगढ़ में अन्नदान की परंपरा है 'छेरछेरा' | In Chhattisgarh, the tradition of Annadan is 'Chherachera'

भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से मांगी थी भिक्षा, छत्तीसगढ़ में अन्नदान की परंपरा है ‘छेरछेरा’

भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से मांगी थी भिक्षा, छत्तीसगढ़ में अन्नदान की परंपरा है 'छेरछेरा'

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:14 PM IST
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Published Date: January 27, 2021 11:55 am IST

रायपुर, छत्तीसगढ़। नई फसल के घर आने की खुशी में महादान और फसल उत्सव के रूप में पौष मास की पूर्णिमा को छेरछेरा पुन्नी तिहार मनाया जाता है। यह त्यौहार हमारी समाजिक समरसता, समृद्ध दानशीलता की गौरवशाली परम्परा का संवाहक है।

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इस दिन ‘छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा‘ बोलते हुए गांव के बच्चे, युवा और महिला संगठन खलिहानों और घरों में जाकर धान और भेंट स्वरूप प्राप्त पैसे इकट्ठा करते हैं और इकट्ठा किए गए धान और राशि रामकोठी में रखते हैं और वर्ष भर के लिए अपना कार्यक्रम बनाते हैं।

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क्या है मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार आज ही के दिन भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी, आज ही मां शाकम्भरी जयंती है। इसलिए लोग धान के साथ साग-भाजी, फल का दान भी करते हैं। मान्यता है कि रतनपुर के राजा छह माह के प्रवास के बाद रतनपुर लौटे थे। उनकी आवभगत में प्रजा को दान दिया गया था।

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छेरछेरा के समय धान मिसाई का काम आखरी चरण में होता है। इस दिन छोटे-बड़े सभी लोग घरों, खलिहानों में जाकर धान और धन इकट्ठा करते हैं। इस प्रकार एकत्रित धान और धन को गांव के विकास कार्यक्रमों में लगाने की परम्परा रही है। छेरछेरा का दूसरा पहलू आध्यात्मिक भी है, यह बड़े-छोटे के भेदभाव और अहंकार की भावना को समाप्त करता है।