नईदिल्ली। भारत और चीन की झड़प के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ सीडीएस जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ लद्दाख के हालात पर बैठक की। बैठक में सशस्त्र बलों को एलएसी पर चीन की सेना के किसी भी प्रकार के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए पूरी छूट दी गई है। चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को कहा गया है। बैठक में रक्षा मंत्री ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों को जमीनी सीमा, हवाई क्षेत्र और रणनीतिक समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए।
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वहीं हैदराबाद के डुंडीगल में एयर फोर्स एकेडमी में संयुक्त स्नातक परेड में वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ने कहा कि भारतीय वायु सेना को चीन के एयर बेस और नियंत्रण रेखा पर उनकी तैनाती की जानकारी है। उन्होंने कहा, ‘चीन हर साल विवादित इलाके में तैनाती और अभ्यास करता है लेकिन इस बार गतिविधि बढ़ी है, जिन पर नजर रखी जा रही है।’ किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए वायुसेना ने जरूरी कदम उठाए हैं।
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एयर चीफ ने कहा, किसी भी आकस्मिक स्थिति का जवाब देने के लिए हम पूरी तरह तैयार हैं। एलएसी पर स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से सामान्य करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि वायुसेना लक्ष्य पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है और वह लद्दाख की गलवां घाटी में हमारे शूरवीरों के बलिदान को कभी व्यर्थ नहीं जाने देगी। वायुसेना ने काफी संख्या में सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 विमानों, अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों को लेह और श्रीनगर सहित कई मुख्य एयर बेस पर पिछले चार दिनों में तैनात किया है।
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उन्होंने कहा, ‘हम पूरी स्थिति से अवगत हैं। चाहे एलएसी हो या एलएसी के अलावा तैनाती हो। हमारे पास पूरा आकलन है और हमने इस तरह की तैनाती से पैदा होने वाली किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाया है।’ उन्होंने कहा कि देशभर में भारतीय वायु सेना के अड्डों पर वे सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं चीन के हवाई क्षेत्र कहां हैं, उनकी तैनाती कहां है, उनके संचालनात्मक अड्डे कहां हैं।
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भारत-चीन के बीच गलवां घाटी को लेकर तनाव चरम पर है। भारत सरकार चीनी उपकरणों को प्रतिबंधित करने की तैयारी में है। इस बीच सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्यमंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा कि युद्ध एक अंतिम विकल्प है। उन्होंने कहा कि चीन की धोखेबाजी ने दोनों देशों के बीच विश्वास में कमी पैदा कर दी है। चीन को सबक सिखाने के लिए कई और रास्ते हैं, उनमें से एक चीन का आर्थिक रूप से बहिष्कार करना है। जनरल वीके सिंह ने कहा कि हमें चीन को आर्थिक रूप से चोट पहुंचाने होगी। सबसे पहले हमें चीनी सामानों का बहिष्कार करना होगा। यहीं से शुरू करना चाहिए।
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