नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने की प्रक्रिया पर काम शुरू कर दिया है। चुनाव आयोग के इस प्रस्ताव पर कानून मंत्रालय ने सहमति जता दी है। चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए आधार अधिनियम में संशोधन करने को कहा गया है। इससे फर्जी वोटर कार्ड की पहचान करके उसे कैंसिल किया जा सकेगा। साथ ही प्रवासी मतदाताओं को रिमोट वोटिंग अधिकार देने में आसानी होगी।
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ऐसे में यदि किसी व्यक्ति का उसके गांव के वोटर लिस्ट में नाम है और वह लंबे समय से शहर में रह रहा है। वह शख्स शहर के वोटर लिस्ट में भी अपना नाम अंकित करवा लेता है। फिलहाल दोनों जगहों पर उस शख्स का नाम वोटर लिस्ट में अंकित रहता है। लेकिन आधार से लिंक होते ही केवल एक वोटर का नाम एक ही जगह वोटर लिस्ट में हो सकेगा। यानी एक शख्स केवल एक जगह ही अपना वोट दे पाएगा।
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चुनाव आयोग और मंत्रालय की मंगलवार को हुई बैठक में तय हुआ कि चुनाव प्रक्रिया इस तरह से बनाया जाए कि एक वोटर केवल एक जगह पर ही अपना वोट दे सके। चुनाव आयोग के शीर्ष पदाधिकारियों और कानून सचिव के बीच हुई बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कानून मंत्रालय को पोल पैनल की ओर से प्रस्तावित सुधारों के कार्यान्वयन को तेजी से लागू करने पर जोर दिया। इस बैठक में 2004-05 से पहले तक प्रस्तावित सुधारों पर भी चर्चा हुई। कानून मंत्रालय चुनाव आयोग द्वारा प्रस्तावित 40 चुनावी सुधारों का अध्ययन कर रहा है।
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चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को जनप्रतिनिधि एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव दिया था। इसमें कहा गया है कि वोटर कार्ड के लिए आधार नंबर देना अनिवार्य बनाया जाएगा। काननू मंत्रालय ने प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए डेटा को कई स्तर पर सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं।
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अब कोई नया वोटर कार्ड बनवाता है तो उसे आधार नंबर बताना होगा। साथ ही अगर किसी का पुराना वोटर कार्ड है तो उसे अपने आधार नंबर से लिंक कराना होगा। ऐसा नहीं करने पर उस शख्स का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा।