क्वींसलैंड: भारत ही नहीं दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां रेप और महिलाओं की सुरक्षा सरकार के सामने एक बड़ी समस्या बनी हुई है। कुछ देशों में रेप को लेकर कड़े कानून बनाए गए हैं, तो कुछ देशों में कानून को ही हथकंडा बनाकर आरोपी ऐसी घटनाओं को अंजाम देकर आसानी से बच जाते हैं। क्वींसलैंड का भी हाल कुछ ऐसा ही है, जहां मौजूदा कानून को चुनौती देकर घिनौने वारदात को अंजाम देकर आरोपी आसानी से कोर्ट से बरी हो जाते हैं।
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दरअसल क्वींसलैंड में मौजूदा कानून व्यवस्था के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास करता है और वह शोर नहीं मचाती या विरोध नहीं करती तो ऐसा मामना जाता है कि महिल की भी सहमति थी। ऐसा हम यूं ही नहीं कह रहे हैं। कई बार ऐसे मामलों में रेप के आरोपियों को कोर्ट से जमानत दी जा चुकी है।
बीते दिनों किंग्स क्रॉस नाइट क्लब के मालिक के बेटे ल्यूक लाजर को कोर्ट से निर्दोष करार दिया गया था। ल्यूक लाजर को 2013 में एक महिला से रेप का दोष मुक्त करार दिया गया था। इस मामले में ल्यूक लाजर को 11 महीने तक जेल में रहना पड़ा था। मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये माना कि महिला ने दुष्कर्म के दौरान न तो चिल्लाया और न ही भागने का प्रयास किया। इस लिहाज से ऐसा माना जा सकता है कि उसकी सहमति थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही महिला मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार नहीं थी, लेकिन उसने अपनी सहमति से संबंध बनाए हैं। इन तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने ल्यूक लाजर को बरी कर कर दिया था।
क्वींसलैंड की मौजूदा कानून व्यवस्था में ऐसे कई प्रावधान हैं, जिसे लेकर अब बदलाव की मांग उठने लगी है। ऐसे ही यहां के लोगों ने मांग की है कि अगर सेक्स के दौरान कंडोम निकाल दिया जाता है तो उसे रेप माना जाए। इस संबंध में सरकार ने प्रस्ताव पेश कर महिलओं से राय मांगी है।
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