इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को देशद्रोह के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। पूर्व राष्ट्रपति को 2007 में तख्तापलट और आपातकाल लगाने का दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने आदेश में दिया है कि अगर मुशर्रफ किन्हीं कारणों से फांसी देने से पहले मर जाते हैं तो उनकी लाश खींचकर इस्लामाबाद के डी चौक यानी डेमोक्रेसी चौक पर लाई जाए और उसे तीन दिन वहां लटकाया जाए।
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पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार है जब किसी सैन्य शासक को देशद्रोह में फांसी की सजा सुनाई गई है। मुशर्रफ के खिलाफ दिसंबर 2013 में देशद्रोह का केस दर्ज हुआ। 31 मार्च 2014 को उन्हें हटाया गया और मुकदमा शुरू हुआ। मुशर्रफ 2016 में भागकर दुबई चले गए और फिर पाकिस्तान कभी नहीं लौटे।
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पेशावर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 17 दिसंबर को दिए 167 पन्नों के आदेश में यह सुनिश्चित करने को कहा है कि हर सूरत में मुशर्रफ को पूरी सजा दी जाए। बता दें कि डी चौक के पास राष्ट्रपति भवन, पीएमओ और सुप्रीम कोर्ट स्थित है।
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कोर्ट ने कहा कि तत्कालीन कोर कमांड कमेटी, मुशर्रफ के पहरे में तैनात सभी वर्दीधारी अधिकारी भी उसके इस कृत्य में भागीदार माने जाएंगे। पूरे मामले में कोर्ट आरोपी मुशर्रफ को दोषी करार देता है और इन अपराधों के लिए आरोपी को अंतिम सांस तक फंदे पर लटकाया जाए।
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