रायपुर। टोटल लॉकडाउन के दौरान गोलीकांड और अवैध शराब पार्टी की घटना के बाद चर्चा में आए क्वींस क्लब के निर्माण से लेकर इसके संचालन में किस तरह प्रभावशाली लोगों ने नियम को तोड़ मरोड़ कर काम किए और कुछ चंद लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया, इस बारे में हम लगातार रिपोर्ट दिखा रहे हैं.. इस कड़ी में एक और खुलासा करने जा रहे हैं.. इस खुलासे से आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्लब के रसूखदार संचालक क्या सारे नियम कानून से उपर हैं, या फिर शासन-प्रशासन के चंद लोग इसके पीछे खेल कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्लब संचालकों ने ऐसी हिमाकत किसके दम पर की? हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी चुपचाप आंखें मूंद कर उसे ऐसा करते क्यों देखते रह गए.. ऐसा करने वाले दोषियों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं करना सवाल खड़े करता है।
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साल 2006 में जब हाउसिंग बोर्ड ने रायपुर के पुरैना में छत्तीसगढ़ के विधायकों, सांसदों के लिए कॉलोनी बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया, तब विधायकों को इस बारे में बताने के लिए इसी लेआउट का इस्तेमाल किया गया था..। विधायकों को फील्ड विजिट कराते वक्त भी इसी लेआउट के जरिए बताया गया था कि प्रस्तावित कॉलोनी का एक रास्ता क्वींस क्लब के सामने से होते हुए वीआईपी रोड तक जाएगा.. और दूसरा रास्ता सिटी मॉल 36 के बगल से होते हुए रायपुर-आरंग नेशनल हाइवे पर मिलेगा..। लेकिन क्लब के निर्माण और उसके संचालन से जुड़े रसूखदार संचालकों का रसूख देखिए, कि वीआईपी रोड से विधायक कॉलोनी तक पहुंचने वाले उस रास्ते को ही हड़प लिया गया.. क्वींस क्लब के संचालकों ने इस रास्ते का इस्तेमाल क्लब के पोर्च के तौर पर करना शुरू कर दिया.. 2015 में जब मामला विधानसभा में गूंजा और फिर तत्कालीन मंत्री के हस्तक्षेप के बाद हाउसिंग बोर्ड ने इस रास्ते को खुलवाया।
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क्वींस क्लब की बिल्डिंग और यहां तक पहुंचने के रास्ते वाले इस ले आउट में साफ तौर पर दिखाया गया है कि क्लब के लिए एंट्री का रास्ता विधायक कॉलोनी की तरफ से है.. 12 मीटर चौड़े इस रास्ते को साफ साफ देखा जा सकता हैं। वहीं टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की ओर से क्लब के संचालन के लिए थमाई गई शर्तों की लिस्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि क्लब में एंट्री गेट केवल विधायक कॉलोनी की तरफ से होगी। क्लब में एंट्री गेट वीआईपी रोड की तरफ से नहीं होगा। लेकिन क्वींस क्लब के संचालक इस दोनों प्रावधान की धज्जियां उड़ाते हुए ना सिर्फ सड़क की जमीन हड़प बैठे हैं, बल्कि विधायकों, सांसदों को क्लब और वीआईपी रोड तक पहुंचाने का रास्ता भी बंद कर दिए। एक सप्ताह पहले जब धर्मजीत सिंह ने इस मुद्दे को फिर से विधानसभा में उठाया तो विभागीय मंत्री ने जवाब दिया कि रास्ता बंद नहीं, बल्कि खुला है.. लेकिन आज वो भी इस हकीकत को स्वीकार कर रहे हैं कि रास्ता बंद है।
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ये रिपोर्ट बताने के लिए काफी है कि क्वींस क्लब के संचालक हरबक्श सिंह बत्रा और उससे जुड़े लोगों ने किस तरह कानून और नियम-कायदों को ताक पर रख कर रसूख का खेल खेला है। हरबक्श सिंह बत्रा ने ही 9.11 करोड़ का सौदा कर, क्लब के संचालन का अधिकार जैन और सिंघानिया परिवार को सौंपा। नए पुराने संचालकों ने ही अपने रसूख के दम पर क्लब में लॉकडाउन के दौरान नशे की पार्टी कराई..वो तो गोलीकांड के साथ उसका सारा खेल बेपर्दा हो गया..। अब सवाल ये कि क्लब संचालको के इस रसूख के खेल पर क्या नई सरकार में भी कोई कार्रवाई होगी, या फिर ये धारणा और मजबूत होगी सरकार भले ही बदल जाए, रसूखदारों का रौब हमेशा बना रहता है..।
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