गुरुवार को इस प्रकार करें देव आराधना, मिलेगी भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृृपा | How to worship God on Thursday, get Lord Vishnu and mother Lakshmi

गुरुवार को इस प्रकार करें देव आराधना, मिलेगी भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृृपा

गुरुवार को इस प्रकार करें देव आराधना, मिलेगी भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृृपा

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:04 AM IST
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Published Date: May 27, 2020 4:33 pm IST

धर्म। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु का होता है। इस दिन विधि- विधान से विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए आज जानते हैं इस दिन क्या करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

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गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। विष्णु भगवान को तुलसी अतिप्रिय होती है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अवश्य अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी चढ़ाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

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भगवान विष्णु को सात्विक भोजन का भोग लगाएं। अगर संभव हो तो भोग में कुछ मीठा भी शामिल करें। दान का कई गुना फल मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरुवार के दिन पीली चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।

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भगवान विष्णु की आरती करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
विष्णु भगवान की आरती..
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

 
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