मुंबई। एक्ट्रेस तापसी पन्नू की फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ इन दिनों चर्चा में बनी हुई है, फिल्म में तापसी विक्रांत मैसी और हर्षवर्धन के साथ इंटिमेट सीन्स करती देखी गई हैं, इस बीच तापसी पन्नू ने बताया कि हर्षवर्धन और तापसी इंटिमेट सीन्स को लेकर काफी डरे हुए थे।
इस बारे में तापसी ने बताया कि – मुझे उम्मीद है कि मैंने उन्हें सहज कर दिया होगा क्योंकि शूटिंग के दौरान वे बहुत सहमे हुए नजर आ रहे थे, वे जरूर सोच रहे होंगे कि पता नहीं क्या करेगी हमारे साथ। दोनों ही बहुत ज्यादा डरे हुए थे, मुझे नहीं पता कि आखिर मेरी क्या इमेज बनी हैं इनके जेहन में या फिर क्या परेशानी है।
वर्तमान समय में इंडियन फिल्म इंडस्ट्री इंटिमेट सीन्स के मामले में अब वास्तविकता के बेहद करीब पहुंच गया है, मेड इन हेवन, फोर मोर शॉट्स प्लीज और सैक्रेड गेम्स, ऑल्ट बालाजी की कई सीरीज और जिस्म- मर्डर जैसी फिल्मों में ये देखा गया है। फिल्म इंडस्ट्री में सभी इसे खुले तौर पर ले रहे हैं।
ऐसे इंटिमेट सीन्स की शूटिंग के लिए निर्देशक इंटीमेसी स्पेशलिस्टों की सेवाएं लेने और वर्कशॉप करने से लेकर शूटिंग के समय सुरक्षित शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि कलाकार किसी तरह की असहजता महसूस ना करें।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की पहली प्रामाणिक इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर आस्था खन्ना कहती हैं, ‘‘तीन साल पहले पश्चिम तक में भी इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की कोई भूमिका नहीं होती थी।’’ मीटू आंदोलन के आने और हॉलीवुड के अहम अभिनेत्रियों के बड़े खुलासे करने के बाद 2018 में एचबीओ के पहले शो ड्यूस के लिए इंटीमेसी कंसल्टेंट की सेवा ली गई थी।
अब इंटिमेट सीन्स से पहले फिल्म के कलाकारों के साथ वर्कशॉप करना, शूटिंग के लिए कुछ नियम तैयार करना, कलाकारों के लिए सहजता की सीमा का पता लगाना और सुरक्षा वस्त्रों का इंतजाम करना है, इंटिमेट सीन की बड़ी सावधानी से कोरियोग्राफी की जाती है। उन्हें एक ही बार में शूट नहीं किया जाता है।
खन्ना बताती हैं, ”कलाकारों के बीच एक केमिस्ट्री बनाई जाती है और वह तब बनती है जब कलाकारों के बीच एक-दूसरे के प्रति विश्वास पैदा हो जाए’’
वहीं अभिनेत्री, प्रोड्यूसर और इंटीमेसी डिजाइनर नेहा व्यास कहती हैं, ‘‘मैंने महसूस किया कि सेट पर कलाकारों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने के लिए कुछ खास प्रयास नहीं किया जा रहा था, कलाकार जिस तरह से प्रशिक्षित किए जाते हैं, उसी तरह से व्यवहार करते हैं, हमें एहसास ही नहीं होता कि हमारी सहमति का सम्मान भी होना चाहिए, अब हमारी कोशिश यह होती है कि कलाकार शरीर को कोई वस्तु समझना छोड़कर उसे एक उपकरण के तौर पर समझें।’’
निर्देशक भी अब अतिरिक्त कदम उठा रहे हैं, फिल्म निर्माता अलंकृता श्रीवास्तव और सिनेमाटोग्राफर जय ओझा ने फिल्म मेड इन हीवेन की शूटिंग के दौरान कलाकारों के बीच विश्वास का भाव पैदा करने और बार-बार रीटेक से बचने के बारे में विस्तार से बताया।
मार्गरीटा विद ए स्ट्रा की शूटिंग से पहले निर्देशक शोनाली बोस ने तय कर लिया था कि उनके कलाकार खुद को सुरक्षित महसूस करें, इसलिए कल्कि और सयानी गुप्ता ने बोस के साथ इंटीमेसी वर्कशॉप की, जिस दिन सयानी गुप्ता को अपनी शर्ट उतारनी थी, उस समय सेट पर कुछ महिलाएं ही थीं, बोस ने भी शर्ट उतार दी और कमर पर एक तौलिया बांधा।
वे कहती हैं, ”अगर आप अकेली ही नग्न हों तो आपको झेंप महसूस होती है, कमरे में निर्देशक जब खुद नग्न हो तो तनाव कम हो जाता है।’’
सेक्स के सीन के बाद बोस ने तुरंत कलाकारों को गाउन पहनने के लिए दे दिए, कलाकारों के बीच जब खुलकर बातचीत होती है तो उससे भी हिचक दूर होती है और एक अनुकूल माहौल बन जाता है जिससे दृश्यों में जान आ जाती है।
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