भोपाल: एक बार फिर देश के कुछ राज्यों में कोरोना का बढ़ता संक्रमण खतरे की घंटी बजा रहा है। सरकारों ने एक बार फिर कोविड गाइडलाइन का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिये हैं। इसमें सबसे अहम है अनिवार्यत: मास्क पहनना, लेकिन क्या मास्क पहनना सिर्फ आम आदमी के लिए जरुरी है? क्या मंत्री विधायकों को कोरोना को संक्रमण नहीं होता या क्या उनसे संक्रमण नहीं फैल सकता? सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या नेता नियम कायदे से ऊपर होते हैं? ये सवाल उठा है मंगलवार को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आपके-हमारे चुने लिए कुछ जनप्रतिनिधियों की लाइव तस्वीरों से। दोनों पार्टियों के कई नेता बगैर मॉस्क के नजर आए। न संक्रमण का डर, न कोरोना की फ्रिक। सबसे हैरान करने वाला रहा, उनका मास्क ना पहनने का कारण, जिसे सुन हर कोई पूछ बैठा आखिर माननीय मानते क्यों नहीं।
ये तस्वीरें मध्यप्रदेश विधानसभा परिसर की है, जहां ये तमाम माननीय मास्क की अनदेखी कर रहे हैं। वो भी तब जब एक बार फिर से कोरोना संक्रमण बढ़ने का खतरा है, जिस वक्त ये तमाम मंत्री-विधायक बगैर मास्क लगाए घूम रहे थे। चिकित्सा शिक्षा मंत्री क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक में कोरोना संक्रमण से बचने की रणनीति तैयार कर रहे थे। अभी तक आपको जो तस्वीर दिखाई, ऐसा नहीं कि सिर्फ उतने ही विधायक मंत्रियों ने मास्क नहीं लगाया। ऐसे कई और माननीय है जिन्हें मास्क से परहेज है और जब इनकी दलील सुनेंगे तो आप और हम क्या बड़े बड़े डॉक्टर्स भी हैरान रह जाएंगे।
उषा ठाकुर ने कहा कि संस्कृति मंत्री वैदिक जीवन पद्धती का पालन करती हूं,सुबह और शाम गाय के कांडे पर देशी घी से आहुति देती हूं,जो 12 घंटे सैनेटाइज करता है, मैं हनुमान चालीस का पाठ करती हूं,शंख का नाद करती हूं,ये सब रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं। हैरान की बात ये है कि बसपा विधायक राम बाई को भी मास्क पहनने से परहेज है। उन्होंने कहा कि मास्क क्यूं पहनना है, जिस मास्क से मुझे तकलीफ हो घुटना हो उल्टी हो, मैं कैसे पहन सकती हूं, जनप्रतिनिधि है तो क्या ऐसे काम करे की खुद ही मार जाएं, जुर्माना अदा कर दूंगी लेकिन मास्क नही पहनूंगी।
विधानसभा की इन हस्तियों को सुना आपने मंत्री महोदया का तर्क है कि शंख बजाने, हवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, इसलिए मास्क की जरुरत नहीं है। जबकि विधायक जी तो जुर्माना भरने को तैयार है, लेकिन मास्क नहीं लगाएगी। इन मंत्री विधायकों को शायद मालूम नहीं कि उनके इस रवैये का जनता पर कितना गलत असर पड़ेगा। जाहिर तौर पर आम जनता भी मॉस्क को नजरअंदाज करने लगेगी। ऐसे में जब प्रधानमंत्री लगातार मास्क लगाने की अपील कर रहे हैं नेताओं का ऐसा रुख किसी भी तरीके से सही नहीं माना जा सकता। सवाल ये भी है कि खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले नेताओं पर कार्रवाई कौन करेगा? क्या सिर्फ आम आदमी पर कार्रवाई करके सरकारी आदेश की पूर्ति कर ली जाएगी? वैसे मुख्यमंत्री और मंत्री लोगों को साफ चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोना से लड़ना है तो मास्क पहनना होगा।
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण फैलने के बाद मध्यप्रदेश में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। क्योंकि महाराष्ट्र का बड़ा हिस्सा मध्यप्रदेश से सटा है, महाराष्ट्र से आने वाले लोगों की थर्मल स्कैनिंग भी हो रही है। लेकिन जन प्रतिनिधियों का रवैया बताता है कि उन्हें शायद किसी की फ्रिक नहीं।