रायपुर | जब-जब आस्था और विकास के बीच संघर्ष की नौबत आई। सबसे ज्यादा चुनौती शासन-प्रशासन की रही है। बैलाडीला की खदान नंबर 13 में खुदाई का मामला भी कुछ ऐसा ही है। आदिवासी आंदोलन आज छठे दिन भी जारी है। इससे पहले पांचवें दिन किरंदुल से रायपुर पहुंचे आदिवासी प्रतिनिधि मंडल की मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई, लेकिन इसके बाद भी अभी तक आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। बैठक में आदिवासियों की मांग से सहमति के बाद, मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक प्रदेश सरकार के वन विभाग ने दंतेवाड़ा कलेक्टर को खदान में चल रहे कार्यों पर तत्काल रोक लगाते हुए 2014 की ग्रामसभा के फर्जी होने की जांच का आदेश जारी कर दिया है।
आदिवसियों के इस आंदोलन को क्षेत्र के स्थानीय नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ (जे) ने भी समर्थन दिया है।
सांसद दीपक बैज ने आंदोलन करने वाले लोगों की मांगों को जायज बताते हुए कहा कि हमने मुख्यमंत्री को सभी मांगों और शिकायतों से अवगत कराया है। आंदोलित आदिवासियों से लगातार चर्चा जारी है जल्द ही समस्या का समाधान होगा और आंदोलन खत्म होगा।
बैलाडीला के डिपाजिट नंबर 13 में लौह अयस्क का भंडार है। बता दें कि वर्तमान में खदान पर एप्रोच रोड बनाने के लिए पेड़ काटने का काम चल रहा है। बैलाडीला में नंदीराज पहाड़ी को अपना देव स्थान बताते हुए हजारों आदिवासी 7 जून यानी शुक्रवार से NMDC के गेट पर परिवार समेत डेरा डाले हुए हैं।
भीषण गर्मी, बारिश और उमस के बीच बीते 5 दिनों में कई आदिवासियों की तबीयत भी बिगड़ी, जिन्हें अस्पताल में भर्ती तक कराना पड़ा है। रायपुर में राज्य सरकार से हुई मुलाकात सकारात्मक तो कही जा सकती है, लेकिन इसे फिलहाल सफल कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि आदिवासी अब भी आंदोलन खत्म करने को लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं।
ग्राफिक्स के जरिए आदिवासियों के इतिहास पर एक नजर डालिए
Web Title – History of Kirandul Adivasi Movement Chhattisgarh Indian Tribal Protests :Kirandul Adivasi Protest History