भिलाई: दुर्ग जिले के भिलाई स्थित चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज की मान्यता को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया है कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न हो। अगर मान्यता रद्द कर दी जाएगी तो छात्रों को आगे की पढ़ाई कैसे होगी? वहीं, कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल को एक महीने के भीतर जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
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गौरतलब है कि मानकों पर खरा नहीं उतरने के चलते आईएमसी ने चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर रोक लगा दी थी। इसके बाद यहां पढ़ने वाले छात्रों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मामले में हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए मेडिकल काउंसिल को एक महीने के भीतर जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
ज्ञात हो कि जब कोई नया मेडिकल काॅलेज शुरू होता है, तब एमसीआई लगातार पांच साल तक कॉलेज का निरीक्षण करती है। इस दौरान कॉलेज को मान्यता मिलना अनिवार्य है। इसके लिए कुछ मापदंड तय किए गए हैं। उसी के अनुसार स्टाफ और भवन होना चाहिए। मापदंड पूरे नहीं होने पर कॉलेज को एमसीआई से मान्यता नहीं मिल पाती। मान्यता नहीं मिलने पर कॉलेज प्रशासन एमबीबीएस में प्रवेश नहीं दे पाते।
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