बिलासपुर। हाई पॉवर स्क्रूटनी कमिटी के निर्णय पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है, जस्टिस गौतम भादुड़ि की एकल खंडपीठ ने उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति द्वारा महारा जाति के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त किये जाने पर रोक लगा दी है। मामले में यचिकाकर्ता सुखदास नाग ने कमेटी द्वारा अपने जाति प्रमाण पत्र को निरस्त किये जाने के निर्णय को चुनौती दी है।
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यचिकाकर्ता बस्तर का मूल निवासी होने के साथ ही महारा जाति के अन्तर्गत अनुसूचित जाति मे आते हैं। उच्चारण में असमानता होने के कारण महार, मेहर, महरा, महारा जाति को अनुसूचित जाति का लाभ नहीं मिल पा रहा था। जिस पर संज्ञान लेते हुए राज्य शासन द्वारा 2017 में आदेश जारी कर इन उच्चारण विभेद को मान्य करते हुए सभी को जाति का लाभ दिया था। लेकिन शासन के निर्देश के उलट हाई पॉवर स्क्रूटनी कमिटी ने याचिकाकर्ता के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया।
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यचिकाकर्ता के अधिवक्ता रोहित शर्मा ने तर्क देते हुए कहा कि एक ही राज्य में एक ही विभाग में एक ही जाति के कर्मचारियों मे से किसी की जाति प्रमाण पत्र को उच्चारण विभेद का लाभ प्रदान करना वा यचिकाकर्ता के विषय में विरोधात्मक निर्णय लेना संविधान के अनुच्छेद 14 व न्याय के सिद्धांतों का खुला उल्लंघन है। उक्त तर्को को संज्ञान मे लेते हुए न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी ने अगली सुनवाई तक हाई पॉवर स्क्रूटनी कमेटी के निर्णय पर रोक लगा दी है और शासन से जवाब तलब किया है। यचिकाकर्ता वर्तमान में वन विभाग मे बस्तर मे कार्यरत हैं।
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