नईदिल्ली। कोरोना संकट से जूझ रहे देश के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को यह स्पष्ट करते हुए कहा है कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस के इलाज का अभी तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि इसे लेकर सभी दावे गलत हैं और अभी भी हम ट्रायल ही कर रहे हैं।
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उन्होने ICMR का हवाला देते हुए बताया कि कोरोना का प्लाज्मा थेरेपी के जरिए इलाज नहीं किया जा सकता। इसे ICMR की ओर से मंजूर नहीं किया गया है। इसे अभी केवल ट्रायल और रिसर्च के रूप में ही आजमाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए जारी गाइडलाइंस को ठीक से पालन नहीं किया गया तो यह खतरनाक भी हो सकता है।
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उन्होने यह भी कहा कि ICMR ने इस पर रिसर्च शुरू किया है। तब तक इस पद्धति पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य व गृह मंत्रालय की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में आज कोरोना वायरस को लेकर नए आंकड़े जारी किए गए। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 1543 नए मामले सामने आए हैं। इस मामले में रिकवरी रेट 23.3 फीसदी है।
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Currently, there are no approved, definitive therapies for #COVID19. Convalescent plasma is one of the several emerging therapies. However, there’s no robust evidence to support it for routine therapy. US Food and Drug Admn has also viewed it as an experimental therapy: ICMR pic.twitter.com/pxM7YVm1LD
— ANI (@ANI) April 28, 2020
बता दें कि प्लाज्मा थेरेपी एक पुरानी तकनीक है। जिसके तहत ठीक हो चुके मरीजों के खून से प्लाज्मा लेकर बीमार लोगों को चढ़ाया जाता है। ठीक हो चुके मरीजों के एंटीबॉडी से बीमार लोगों को रिकवरी में मदद मिलती है। इससे मरीज के शरीर में वायरस कमजोर पड़ने लगता है।