भोपाल: गोडसे के उपासक रहे हिंदू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया के गांधी की पार्टी में आने पर बवाल मच गया है। बाबूलाल चौरसिया के गांधी वादी दल कांग्रेस में आते ही पार्टी दो धड़ो में बंटती नजर आ रही है। पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव ने तो बाबूलाल चौरसिया के पार्टी में शामिल होने पर खुलकर मोर्चा खोल दिया है।
यादव ने कहा कि गोडसे को मानने वाले गांधी की विचार धारा से मेल मिलाप करें ये मुझे उचित नहीं लगा और ये सिर्फ मेरे नहीं बल्कि लाखों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के विचार हैं। अरुण ने ऐलान कर दिया कि, मैं चुप नहीं रहूंगा। अरूण यादव ने एक पत्र जारी कर कहा कि मैं RSS की विचारधारा को लेकर लाभ-हानि की चिंता किए बिना जुबानी जंग नहीं, बल्कि सड़क पर लड़ाई लड़ता हूं। मेरी आवाज कांग्रेस और गांधी विचारधारा को समर्पित एक सच्चे कांग्रेसी कार्यकर्ता की आवाज है। जिस संघ कार्यालय में कभी तिरंगा नहीं लगता, वहां इंदौर के संघ कार्यालय (अर्चना) पर कार्यकर्ताओं के साथ जाकर मैंने तिरंगा फहराया। देश के सारे बड़े नेता कहते रहे हैं कि देश का पहला आतंकी नाथूराम गोडसे था, तो फिर आज गोडसे की पूजा करने वाले के कांग्रेस में प्रवेश पर सब खामोश क्यों हैं?
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अरुण ने पसवाल उठाया कि ऐसे तो आगे गोडसे को देशभक्त बताने वाली भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर को भी कांग्रेस में प्रवेश करने पर क्या कांग्रेस उसे स्वीकार करेगी? अरूण यादव यहीं नहीं रूके यादव ने कहा कि जब संघ और पूरी BJP एकजुट होकर महात्मा गांधीजी, नेहरू जी और सरदार वल्लभ भाई पटेल के चेहरे को नई पीढ़ी के सामने भद्दा करने की कोशिश कर रही है, तो कांग्रेस की गांधीवादी विचारधारा को समर्पित एक सच्चे सिपाही के नाते मैं चुप नहीं बैठ सकता हूं। ये मेरा वैचारिक संघर्ष किसी व्यक्ति के खिलाफ ना होकर कांग्रेस पार्टी की विचारधारा को समर्पित है और इसके लिए मैं हर राजनीतिक क्षति सहने को तैयार हूं।
अरूण यादव जिस बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में आने से भड़के हुए हैं वो नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाकर, गोड़से का जलाभिषेक कर चर्चा में आये थे। बाबूलाल चौरसिया को ग्वालियर दक्षिण सीट से कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक कांग्रेस में लाए हैं। बाबूलाल वार्ड 44 से पार्षद हैं, वार्ड 44 हिंदू महासभा का गढ़ रहा है। अरूण यादव के ट्वीट के बाद पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्षमण सिंह ,पूर्व मंत्री सुभाष कुमार और महामंत्री वीर सिंह रघुवंशी यादव के साथ खड़े हैं। जबकि पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा प्रवीण पाठक के बचाव में उतरे हैं। कुल मिलाकर इस मुद्दे पर विपक्ष में दो फाड़ से हालत है।